Lalbaugcha Raja: गणेश उत्सव का महापर्व देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं, इस बार मुंबई के प्रसिद्ध लालबाग के राजा गणपति भव्य रूप में नजर आ रहे हैं. मूर्ति के पर्दा हटाने के साथ ही भक्तों को बप्पा की नई और आकर्षक पोशाक देखने को मिली है. इस बार बप्पा मरून रंग की पोशाक में दिख रहे हैं और उनके सिर पर सोने का मुकुट सुशोभित है. मिली जानकारी के अनुसार, यह मुकुट रिलायंस फाउंडेशन द्वारा अर्पित किया गया है, जिसका वजन 20 किलो हैं और इसकी लागत 16 करोड़ रुपये आई है. मुकुट में हीरे और अन्य कीमती पत्थर भी जड़े गए हैं. हर साल अंबानी परिवार इस पंडाल को करोड़ों का चढ़ावा अर्पित करता है.
अनंत अंबानी हर साल करोड़ों का करते हैं चढ़ावा
मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी का भी लालबाग के राजा के साथ गहरा संबंध है. अनंत अंबानी हर साल लालबाग के राजा के दर्शन के लिए जाते हैं और उन्हें चढ़ावा अर्पित करते हैं. हाल ही में अनंत अंबानी को लालबागचा राजा गणपति मंडल द्वारा मानद सदस्यता प्रदान की गई है. इस मंडल की वार्षिक आम सभा में अनंत अंबानी को यह मानद सदस्यता देने का प्रस्ताव पास किया गया था. अनंत अंबानी को इस सम्मानित पद पर देखना उनके प्रति मंडल की श्रद्धा और उनके योगदान की पुष्टि करता है.
लालबागचा राजा का इतिहास
लालबागचा राजा गणेशोत्सव मंडल की स्थापना 1934 में लालबाग बाजार में की गई थी. इसे स्थानीय मछुआरों और व्यापारियों के एक समूह ने गणेश उत्सव मनाने के लिए स्थापित किया था. इस मंडल का गणेश पंडाल मुंबई के पिटलाबाई चौल में सजाया जाता है और यह मुंबई का सबसे प्रसिद्ध गणेश पंडाल है. यहां बप्पा के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त जुटते हैं. बता दें कि गणेशोत्सव 7 सितंबर से शुरू हुआ है और यह 10 दिनों तक चलेगा. इन दिनों गणेश भक्ति का माहौल चरम पर रहता है और 10वें दिन बप्पा का विसर्जन धूमधाम से किया जाता है.
अनंत अंबानी की भक्ति और सहयोग
अनंत अंबानी की गणपति भक्ति बहुत प्रसिद्ध है. वह न सिर्फ लालबाग के राजा को बड़ी मात्रा में चढ़ावा अर्पित करते हैं, बल्कि गणपति मंडल को हर तरह से मदद भी पहुंचाते हैं. उनके सहयोग से कई सामाजिक अभियानों को बल मिल रहा है और असहाय तथा बीमार लोगों की मदद भी की जा रही है. अनंत अंबानी की यह भक्ति और सहयोग समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं और गणेश उत्सव की रौनक को और भी बढ़ा देते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)