जयपुर में मकर संक्रांति पर पतंगबाजी परवान पर रहती है. गुलाबी नगरी में पर्व, परंपरा और आध्यात्म का गहरा रिश्ता है. जयपुर में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान भी पतंगबाजी करते हैं. खास बात ये है कि मंदिर में स्थापित भगवान कागज की नहीं बल्कि सोने-चांदी की पतंग उड़ाते हैं.
बड़ी चौपड़ स्थित लक्ष्मीनारायण बाई जी मंदिर में तीन दिवसीय पतंगोत्सव मनाया जा रहा है. मंदिर में पतंगों की झांकी सजाई गई है. लक्ष्मीनारायण जी सोने की पतंग उड़ाएंगे और लक्ष्मी जी चांदी की चरखी थामे रहेंगी. पूरा मंदिर परिसर रंग-बिरंगी पतंगों से सजाया गया है. यहां आज (14 जनवरी) पतंग झांकी सजेंगी. इसके लिए परंपरागत सोने-चांदी की पतंगों के साथ रंगीन कागज की अन्य पतंगों से मंदिर को सजा दिया गया है. मकर संक्रांति के दिन ठाकुर जी को तिल के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा.
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लक्ष्मीनारायण मंदिर भगवान की पतंगबाजी को रामायण काल से जोड़ा जाता है. जिसमें वर्णन है कि भगवान श्रीराम ने भी पतंग उड़ाई थी. ग्रंथों में भी भगवान राम के पतंग उड़ाने का प्रसंग मिलता है. वहीं रियासत काल में स्वयं जयपुर नरेश पतंगबाजी करते थे. राजा की पतंग लूटने के लिए घुड़सवार दौड़ते थे. राजा की पतंग लूटने वाले का इनाम मिलता था. इन सभी कारणों से मंदिर में भी पतंगोत्सव मनाया जाता है. मकर संक्रांति के मौके पर लोगों को निशुल्क पतंग वितरित की जाती है.
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गलता जी में स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं को अल्पहार दिया जाएगा. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
Source : News Nation Bureau