Premanand Ji Maharaj: भारतीय हिंदू गुरु प्रेमानंद जी महाराज को लोग राधा-कृष्ण के उपासक के रूप में जानते हैं. उनकी वाणी से निकला हर शब्द उनके भक्तों को प्रेरणा देता है. एक ओर जहां कलयुग के अंत की बात हर ओर की जा रही है, वहीं प्रेमानंद जी महाराज ने आसान शब्दों में बताया कि पृथ्वी का अंत कैसे होगा. उन्होने बताया कि कि ये ब्रह्मा जी के दिन और रात के चक्र से जुड़ा है. ब्रह्मा जी के दिन की सुबह का वर्णन इस प्रकार किया गया है कि जैसे कोई दुकानदार अपनी दुकान खोलता है, वैसे ही यह सृष्टि अहंकार के तीन गुणों (सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण) के माध्यम से निर्मित होती है. यह सारा संसार प्रकृति के प्रभाव से उत्पन्न हुआ है जिसमें पांच तत्व, मन, बुद्धि, अहंकार और जीव शामिल हैं. जीव स्वयं भगवान के अंश होते हैं और पूरी सृष्टि दिनभर फैलती रहती है. लेकिन जब रात का समय आता है तब प्रलय होती है.
ब्रह्मा जी का एक दिन 4 अरब 32 करोड़ वर्षों का होता है जो हमारे मानव वर्ष से बहुत बड़ा समय होता है. इतनी ही अवधि की एक रात होती है और फिर सब कुछ समाप्त हो जाता है. इस प्रकार सृष्टि के दिन और रात का क्रम चलता रहता है. जब ब्रह्मा जी की आयु 100 वर्षों की हो जाती है तब महाप्रलय होती है जिसमें ब्रह्मा जी भी समाप्त हो जाते हैं और वे भगवान में लीन हो जाते हैं.
महाप्रलय के दौरान जो पीड़ा होती है वह असहनीय होती है. जीव जन्म-मरण के चक्र में फंसे रहते हैं जिसमें दुख, रोग, भय, अपमान, आदि का सामना करना पड़ता है. इस संसार में सुख का भ्रम ही होता है वास्तविकता में केवल दुख होता है. जीवन के सभी अनुभवों को अगर ध्यान से देखा जाए तो यह निष्कर्ष निकलता है कि दुख ही दुख है.
महाप्रलय के समय न 100 वर्षों तक बारिश होती है न ही एक बूंद पानी गिरती है. पूरी धरती सूख जाती है और जीवात्मा भयंकर कष्टों में मर जाते हैं. फिर 100 वर्षों तक सूर्य से आग बरसती है और नीचे से भी ज्वालामुखी की आग फैलती है जिससे तीनों लोक जलने लगते हैं. इस अग्नि से सभी लोक नष्ट हो जाते हैं सब कुछ राख हो जाता है. इसके बाद 100 वर्षों तक जलवृष्टि होती है जिससे सारा संसार पानी में डूब जाता है. यह महाप्रलय की पूर्ण स्थिति होती है जिसमें सब कुछ नष्ट हो जाता है और ब्रह्मा जी भगवान के नाभि-कमल पर आसीन होते हैं. इस तरह की स्थिति से बचने का एकमात्र उपाय भगवान की शरण में जाना है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी उनकी शरण में आता है उसे वे संसार के इस भयंकर चक्र से बचा लेते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)