Ganesh Mantra: भगवान गणेश बच्चों के प्रति अत्यंत प्रेमी होते हैं. उन्हें बच्चों का आनंद, खुशियां और प्यार बड़ा प्रिय लगता है. उन्हें बच्चों के नाटक, मस्ती और सर्वत्र प्रसाद देने का बड़ा ही आनंद मिलता है. भगवान गणेश बच्चों के प्रति अपना प्रेम स्वरूप में प्रकट करते हैं और उन्हें संरक्षण और सहायता करते हैं. उनका प्रेम निरंतर और अटूट माना जाता है. जैसे कि एक पिता का होता है. भगवान गणेश बच्चों के प्रति प्रेम उनकी रक्षा और संरक्षण के लिए हमेशा उनके साथ रहते हैं. भगवान गणेश के ऐसे ही कुछ मंत्र हैं जिन्हें बच्चों को जरूर सिखाना चाहिए.
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ॐ गण गणपतये नम (ॐ गण गणेशाय नमः)
यह मंत्र गणेश की पूजा और आराधना में उपयोगी है. मंत्र का अर्थ है "हे गणपति, मैं आपको नमस्कार करता हूं". यह मंत्र भगवान गणेश की पूजा और आराधना में उपयोग किया जाता है. गणेश मंत्रों में यह एक प्रमुख मंत्र है जो उनकी आराधना में उच्चारित किया जाता है और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना की जाती है. यह मंत्र गणपति की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए जापित किया जाता है.
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
(वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा): यह मंत्र गणेश की महिमा का वर्णन करता है. मंत्र का अर्थ है "हे वक्रतुण्ड, महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ, मैं आपको नमस्कार करता हूं". इस मंत्र का उद्घाटन किया जाता है गणेश जी की पूजा और आराधना में, जो गणेश जी के गुणों और महत्व का वर्णन करता है. वक्रतुण्ड शब्द का अर्थ होता है कुण्डली या अद्भुत रूप से मोड़ा हुआ. महाकाय का अर्थ होता है बड़े शरीर वाले और सूर्यकोटि समप्रभ का अर्थ होता है सूर्य की तीव्र ज्योति के समान प्रकाशमान. इस मंत्र में भगवान गणेश की महिमा, शक्ति और विशेषताओं का वर्णन किया जाता है और इसके माध्यम से उनकी पूजा की जाती है.
गजाननं भूतगणादि सेवितं (गजाननं भूतगणादि सेवितं)
इस मंत्र में गणेश की पूजा की जाती है, जो भक्तों की सेवा करते हैं. मंत्र का अर्थ है "हे गजानन, भूतगण आदि की सेवा किये जाने वाले, मैं आपको नमस्कार करता हूं". यह मंत्र गणेश जी की महिमा, शक्ति, और विशेषताओं का वर्णन करता है. गजानन का अर्थ होता है हाथी के समान दिखने वाले, जो गणेश जी का एक प्रमुख नाम है. भूतगण का अर्थ होता है प्राणियों के समूह, जो की गणेश जी के सेवार्थ समर्पित हैं. इस मंत्र के माध्यम से भगवान गणेश की पूजा और आराधना की जाती है, और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है.
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लम्बोदरं पिताम्बरं सुरेशम (लम्बोदरं पिताम्बरं सुरेशम)
यह मंत्र गणेश के श्रेष्ठ गुणों का वर्णन करता है. मंत्र का अर्थ है "हे लम्बोदर, पिताम्बर धारी, सुरेश, मैं आपको नमस्कार करता हूं". इस मंत्र के माध्यम से भगवान गणेश की महिमा, शक्ति, और विशेषताओं का वर्णन किया जाता है. लम्बोदर का अर्थ होता है लंबा बड़ा मुख वाला, जो गणेश जी का एक प्रमुख नाम है. पिताम्बर का अर्थ होता है पिता के आंचल को धारण करने वाला, और सुरेश का अर्थ होता है देवों के राजा. इस मंत्र के माध्यम से गणेश जी की पूजा और आराधना की जाती है, और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है.
विघ्नराजं गणेशं भजेहम (विघ्नराजं गणेशं भजेहम)
इस मंत्र का अर्थ है कि हम गणेश को भजते हैं, जो सभी विघ्नों को दूर करते हैं. इस मंत्र के माध्यम से गणेश जी की पूजा और आराधना की जाती है, और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है. "विघ्नराज" का अर्थ होता है विघ्नों के राजा या सम्राट, जो कि गणेश जी का एक प्रमुख नाम है. इस मंत्र में गणेश जी की महिमा, उनके विशेष गुण, और पूजनीयता का वर्णन किया जाता है.
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजं (शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजं)
इस मंत्र का अर्थ है कि गणेश को निराकार और सकार रूप में पूजा जाता है."जो श्वेत वस्त्र धारण करते हुए, शंख-चक्र-गदा-पद्म धारण करने वाले, चाँद्रमा के रंग के, चारों हाथ वाले भगवान विष्णु को मैं नमस्कार करता हूं." यह मंत्र भगवान विष्णु की पूजा और आराधना में उपयोग किया जाता है. इस मंत्र में भगवान विष्णु की धारणाएँ और विशेषताएँ वर्णित की गई हैं और उनकी प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है.
प्रसन्नवदनं ध्यायेत सर्वविघ्नोपशान्तये (प्रसन्नवदनं ध्यायेत सर्वविघ्नोपशान्तये)
यह मंत्र गणेश की प्रसन्नता के लिए जापित किया जाता है. मंत्र का अर्थ है "जिसका चेहरा प्रसन्न है, उसका ध्यान करें, सभी विघ्नों को शांत करने के लिए". यह मंत्र गणेश जी की पूजा और आराधना में उपयोग किया जाता है. इस मंत्र के माध्यम से गणेश जी की प्रसन्नता को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की जाती है, ताकि उनकी कृपा से सभी कठिनाइयों और विघ्नों का समापन हो सके.
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गणेशः शरणं गच्छामि (गणेशः शरणं गच्छामि)
यह मंत्र गणेश की शरण में जाने की प्रार्थना करता है. मंत्र का अर्थ है "हे गणेश, मैं आपकी शरण में जाता हूं". इस मंत्र के माध्यम से भगवान गणेश की शरण में जाने की प्रार्थना की जाती है. यह मंत्र गणेश जी की स्तुति और उनकी प्राप्ति के लिए प्रार्थना का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.
Source : News Nation Bureau