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क्या आप भी सोचते हैं- अच्छे लोगों के साथ बुरा और बुरे लोगों के साथ अच्छा क्यों होता है ? ये है इसका सही जवाब

Lord Krishna Mythological Stories: क्या आपके मन में भी कभी ऐसा सवाल आता है कि भगवान अच्छे लोगों के साथ बुरा और बुरे लोगों के साथ अच्छा क्यों करता है? अगर हां तो ये है इसका सही जवाब

Updated on: 03 Jun 2024, 01:22 PM

New Delhi :

Lord Krishna Mythological Stories: आपके इस सवाल का सही जवाब भगवत गीता में दिया गया है. गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ये बात समझाई थी कि लोगों को उनके कर्मों का फल हमेशा मिलता है. आपने महसूस किया होगा कि जो लोग अच्छे कर्म करते हैं वो परेशान रहते हैं. वही जो बुरे कर्म करते हैं वो खुशी से रह रहे होते हैं. अच्छे कर्म करने वाले परेशान होते हैं कि आखिर उन्हें इतनी परीक्षा क्यों देनी पड़ रही है? जबकि जो अधर्म की राह में है वो खुश हैं और जिंदगी का लुत्फ उठा रहे है. अगर आपके मन में भी ये सवाल आया है तो आज हम आपको इसका जवाब देंगे. ये जवाब वो है जो भागवत गीता में लिखा है और जो श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था. 

जब भी अर्जुन के मन में कोई दुविधा होती थी तो वह श्री कृष्ण के पास पहुंच जाते थे. एक बार की बात है, अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से आकर कहा कि वो दुविधा में हैं और इसका जवाब वह श्री कृष्ण से चाहते हैं. श्री कृष्ण ने पूछा कि क्या सवाल है? अर्जुन ने कहा, मुझे यह जानना है कि अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है? वही बुरे लोग खुशहाल दिखते हैं. और क्या पुनर्जन्म में भी पिछले कर्मों का फल मिलता है? 

अर्जुन के मुंह से ऐसी बातें सुनकर श्री कृष्ण मुस्कुराए और कहा मनुष्य जैसा सोचता है और महसूस करता है वैसा कुछ नहीं होता है. बस अज्ञानता की वजह से वो सच्चाई नहीं समझ पाता है. अर्जुन उनकी ये बात समझ नहीं पाए. कृष्ण ने अर्जुन से कहा. पार्थ मैं तुम्हे एक कथा सुनाता हूं, उसे सुनकर तुम समझ जाओगे की हर प्राणी को उसके कर्म के हिसाब से ही फल मिलता है. प्रकृति हर किसी को अपनी राह चुनने का मौका देती है. अब वो मनुष्य की इच्छा पर निर्भर करता है की उसे धर्म की राह चुननी है या अधर्म की. 

श्री कृष्ण ने कहा, एक नगर में दो पुरुष रहा करते थे, एक पुरुष व्यापारी था, जिसके जीवन में धर्म की बहुत महत्ता थी. वो पूजा पाठ में यकीन रखता था. वो हर रोज़ मंदिर जाता था और दान धर्म भी करता था और हर रोज़ भगवान की पूजा करता था. वही दूसरा पुरुष बिल्कुल विपरीत था. वो हर रोज़ मंदिर तो जाता था लेकिन पूजा करने नहीं बल्कि मंदिर के बाहर से जूते चप्पल चुराने, उसे दान और धर्म से कोई लेना देना नहीं था और उसे भगवान पर विश्वास नहीं था. समय बीतता गया और 1 दिन बहुत ज़ोर की बारिश हो रही थी. इस वजह से मंदिर में पुजारी के अलावा कोई नहीं था. ये बात जब दूसरे पुरुष को पता चली तो उसने कहा कि ये सही मौका है मंदिर का धन चुराने का. पंडित से नजर बचाकर उसने मंदिर का सारा धन चुरा लिया. उसी समय धर्म कर्म में विश्वास रखने वाला व्यक्ति भी मंदिर पहुंचा. 

दुर्भाग्य से मंदिर के पुजारी ने उसे ही चोर समझ लिया और चिल्लाने लगे. वहां लोग एकत्र हो गए और उसे बहुत मारा. किसी तरह वो बचते बचाते वहां से निकला तो दुर्भाग्य ने उसका साथ वहां भी नहीं छोड़ा. मंदिर के बाहर वो एक गाड़ी से टकरा गया और घायल हो गया. वो व्यापारी लंगड़ाते हुए घर जाने लगा तो रास्ते में उसकी मुलाकात उस पुरुष से हुई जिसने मंदिर से धन चुराया था. उसने कहा आज तो मेरी किस्मत चमक गई, एक साथ इतना सारा धन मिल गया. ये सब देख कर उसे बहुत बुरा लगा और उसने अपने घर से भगवान की सारी तस्वीरें निकाल दी. 

कुछ सालो बाद दोनों की पुरुषों की मृत्यु हो गई. मरने के बाद जब दोनों यमराज की सभा में पहुंचे और भले पुरुष ने दूसरे व्यक्ति को देखा तो उसे बहुत गुस्सा आया. उसने क्रोधित होकर यमराज से पूछ ही लिया, मैं तो हमेशा अच्छे कर्म करता था, दान में विश्वास रखता था, उसके बदले जीवनभर मुझे अपमान और दर्द ही मिला और इस व्यक्ति को नोटों से भरी पोटली आखिर ऐसा भेदभाव क्यों? इस पर यमराज ने कहा. पुत्र तुम गलत समझ रहे हो? जिस दिन तुम्हारी गाड़ी से टक्कर हुई थी. वो दिन तुम्हारे जीवन का आखिरी दिन था, परंतु तुम्हारे अच्छे कर्मों की वजह से तुम्हारी मौत सिर्फ एक छोटी से चोट में बदल गई. 

तुम इस दुष्ट व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हो. दरअसल इसके भाग्य में राजयोग था, मगर इसके कुकर्मों और अधर्म की वजह से वो सिर्फ एक छोटी सी धन की पोटली में बदल गया. 

कथा सुनाने के बाद श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं पार्थ क्या अब तुम्हें तुम्हारे सवाल का जवाब मिल गया? ऐसा सोचना कि भगवान तुम्हारे कर्मों को नज़रअन्दाज़ कर रहे हैं, ये बिल्कुल भी सत्य नहीं है. भगवान हमें कब क्या किस रूप में दे रहा है, मनुष्य को समझ में नहीं आता है, मगर आप अच्छे कर्म करते रहे तो भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है. इस लिए अपने अच्छे कर्मों को बदलना नहीं चाहिए. क्योंकि उसका फल हमें इसी जीवन में मिलता है. मनुष्य का फर्ज है कि वो हमेशा अच्छे कर्म करते रहें क्योंकि श्री कृष्ण ने गीता में भी बताया है कि किसी के द्वारा किया गया कर्म बेकार नहीं जाता है, चाहे वह अच्छा हो या बुरा.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)