उज्जैन के राजाधिराज भगवान महाकाल फूलों से सजी पालकी में सवार होकर श्रीहरि से मिलने आधी रात को पहुंचे .श्रीहरि और महाकाल का यह मिलन अनूठा था.हजारों लोग इसके साक्षी बने. दोनों देवों को उनके स्वभाव के विपरीत मालाएं पहनाई गईं.भगवान महाकाल यानी महादेव पूरे लाव-लश्कर के साथ बुधवार आधी रात को श्रीहरि के दरबार पहुंचे. यहां उन्होंने अगले छह महीने तक सृष्टि का भार श्रीहरि विष्णु को सौंपा.
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वैकुंठ चतुर्दशी की रात 11 बजे मंदिर से महाकाल की सवारी पूरे लाव-लश्कर के साथ श्रीहरि मंदिर के लिए निकली. करीब एक किलोमीटर तक जोरदार आतिशबाजी के साथ राजा महाकाल पालकी में सवार होकर वैकुंठ के अधिपति श्रीहरि विष्णुजी से मिलने द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचे.
महाकाल की पालकी का स्वागत उनकी प्रजा ने आकर्षक आतिशबाजी और पुष्प वर्षा किया.हर-हर महादेव के जयकारों के साथ महाकाल की पालकी का लोगों ने स्वागत किया. महाकाल मंदिर के शासकीय पुजारी गोपाल मंदिर के शासकीय पुजारी की ओर से हर और हरि का दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से मंत्रोच्चार कर पंचामृत स्नान कराया. इसके बाद दोनों देवों का शृंगार किया गया.महाकाल की पालकी दोनों देवों के मिलन के इस विलक्षण क्षण का आनंद देर रात तक लिया जाता रहा.
Source : ASHISH SISODIA