Karthigai Deepam 2024: कार्तिगाई दीपम भगवान शिव की अनंत ज्योति को समर्पित है. यह पर्व इस बात का प्रतीक है कि भगवान शिव न केवल सृष्टि के रचयिता हैं बल्कि वह संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार भी हैं. कार्तिगाई दीपम दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार ये त्योहार तमिल महीने कार्तिगई में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन को विशेष रूप से प्रकाश और भगवान शिव की अनंत महिमा का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने ब्रह्मा जी और विष्णु जी को अपने श्रेष्ठता साबित की थी.
पौराणिक कथा
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महादेव के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ. इसे सुलझाने के लिए भगवान शिव ने स्वयं को एक अनंत प्रकाश स्तंभ (ज्योतिर्लिंग) में परिवर्तित कर लिया. उन्होंने ब्रह्मा और विष्णु से कहा कि वे इस ज्योति के अंत को खोजें. ब्रह्मा जी ने हंस का रूप धारण किया और प्रकाश स्तंभ के ऊपरी भाग को खोजने के लिए उड़ गए. भगवान विष्णु ने वराह का रूप लिया और ज्योति के निचले भाग को खोजने के लिए पृथ्वी के गर्भ में चले गए. लेकिन, दोनों ही इस प्रकाश के अंत को खोजने में असफल रहे. इसके बाद भगवान शिव ने अपनी महिमा प्रकट की और दोनों देवताओं को समझाया कि सृष्टि का आरंभ और अंत वह स्वयं हैं. यह घटना भगवान शिव की अनंतता और महिमा का प्रमाण मानी जाती है.
इस दिन दीपक जलाना शुभ माना जाता है. दीपक अज्ञानता को मिटाने और ज्ञान के प्रकाश को फैलाने का प्रतीक है. मान्यता है कि घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर दीप जलाने वाले जातक पर सदा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और उसकी मनोकामना पूर्ण होती है. तिरुवन्नामलाई के अरुणाचलेश्वर मंदिर में यह त्योहार विशेष रूप से भव्य तरीके से मनाया जाता है. मंदिर की चोटी पर एक विशाल दीप जलाया जाता है, जो भगवान शिव की अनंत ज्योति का प्रतीक है. भक्त भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र, जल, दुर्वा और धूप का उपयोग करते हैं. शिवलिंग पर दीपक जलाकर विशेष आरती की जाती है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)