Maa Annapurna Treasury: काशी के बाबा विश्वनाथ में अन्न-धन की भिक्षा देने वाली मां अन्नपूर्णा का खजाना खुलने का समय नजदीक आ गया है. 29 अक्टूबर से भक्तों के इंतजार का अंत होगा जब माता अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन करने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त होगा. इस साल 5 दिनों तक भक्त माता अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी, माता लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन कर सकेंगे. प्रशासन का मानना है कि इन पांच दिनों में सात लाख से अधिक श्रद्धालु काशी में माता के दरबार में आशीर्वाद लेने पहुंचेंगे. माता अन्नपूर्णा के मंदिर में प्रसाद स्वरूप भक्तों को एक विशेष सिक्का प्रदान किया जाता है. मान्यता है कि यह सिक्का भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है. भक्त इस प्रसाद की प्राप्ति के लिए लंबी प्रतीक्षा करते हैं और मंदिर के कपाट खुलने से घंटों पहले से ही लाइन में लगना शुरू कर देते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव काशी में निवास हेतु आए थे, तब माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगकर उन्होंने काशी वासियों का पेट भरा था. मां अन्नपूर्णा ने भगवान शिव को आशीर्वाद दिया था कि काशी में कोई भी भूखा नहीं सोएगा. इसी कारण भक्तों की आस्था और भक्ति का केंद्र यह स्थान बन गया है.
दर्शन का विशेष अवसर
इस साल धनतेरस 29 अक्टूबर को मंदिर के कपाट भक्तों के लिए एक घंटे पहले खोल दिए जाएंगे, जिससे श्रद्धालु निर्धारित समय से पहले ही माता के दर्शन कर सकें. महंत शंकर पुरी ने बताया कि पहले केवल चार दिनों तक ही भक्तों को माता के स्वर्णमयी विग्रह के दर्शन का अवसर मिलता था, लेकिन इस वर्ष भी पांच दिनों तक भक्तों को दर्शन का विशेष अवसर प्राप्त होगा. पांच दिवसीय इस आयोजन के दौरान माता अन्नपूर्णा, भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन होंगे.
विशेष कार्यक्रम और अन्नकूट महोत्सव
धनतेरस को मंदिर में खजाना वितरण का कार्यक्रम होगा, जबकि 2 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा. इस दिन लड्डुओं की विशेष झांकी सजेगी और रात्रि 11:30 बजे माता की महाआरती का आयोजन होगा. इसके पश्चात, अगले वर्ष तक के लिए माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी विग्रह के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. माता अन्नपूर्णा के इस भव्य आयोजन में भाग लेने के लिए भक्तों की उत्सुकता और उनकी आस्था देखने योग्य होती है. माना जाता है कि मां अन्नपूर्णा के दरबार में पहुंचने और उनके खजाने का प्रसाद पाने से जीवन में धन, संपत्ति और संतोष की प्राप्ति होती है. इसलिए, इस आयोजन में न केवल काशी के लोग बल्कि दूर-दूर से भक्तों की भीड़ माता के आशीर्वाद के लिए उमड़ती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)