Akhada Parampara: आखड़ा परंपरा हिंदू संत समाज की एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है, जिसमें संतों और साधुओं की एक निश्चित पदानुक्रम प्रणाली होती है. हर पद की अपनी एक विशेष भूमिका और जिम्मेदारी होती है, जो पूरे संत समाज को सुचारू रूप से चलाने और धार्मिक आयोजनों को व्यवस्थित करने में सहायता करती है. इस परंपरा में महामंडलेश्वर से लेकर महंत और पीठाधीश्वर जैसे कई पद होते हैं. इन पदों पर नियुक्ति कैसे होती है और इनके कार्य क्या है ये सनातन धर्म में बताया गया है.
1. महामंडलेश्वर
आखड़ा परंपरा में सर्वोच्च पद महामंडलेश्वर होता है. इस पद पर वही संत नियुक्त होते हैं जो गहरे आध्यात्मिक ज्ञान, अनुशासन और जनता में प्रभाव रखते हैं. महामंडलेश्वर का मुख्य कार्य धार्मिक और आध्यात्मिक दिशा-निर्देश देना और सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों का नेतृत्व करना है. यह पद बहुत प्रतिष्ठित होता है और इन्हें कुंभ मेलों में विशेष सम्मान प्राप्त होता है.
2. मंडलेश्वर
मंडलेश्वर महामंडलेश्वर के अधीनस्थ होते हैं, लेकिन ये भी आखड़ा के सम्मानित और उच्च पदाधिकारी होते हैं. इनका कार्य धार्मिक शिक्षाओं का प्रचार करना और धार्मिक समारोहों का आयोजन करना होता है. ये विशेषत: अपने मंडल के संतों की देखरेख करते हैं और उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं.
3. महंत
महंत किसी विशेष आश्रम या मंदिर के प्रमुख होते हैं. उनका कार्य उस स्थान की दिनचर्या, सेवा, पूजा-अर्चना और वहां निवास कर रहे संतों की व्यवस्था करना होता है. महंत के पास आश्रम या मठ की जिम्मेदारी होती है और वे उस संस्थान के कार्यों का संचालन करते हैं.
4. पीठाधीश्वर
पीठाधीश्वर एक बड़े मठ या पीठ के संचालक होते हैं. पीठ का संबंध प्राचीन गुरुकुल या मठ परंपरा से होता है, जो धार्मिक शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार का केंद्र होता है. पीठाधीश्वर उस पीठ के संचालन और वहाँ की धार्मिक शिक्षा के प्रसार का काम देखते हैं.
5. श्रीमहंत
श्रीमहंत का पद महंत और महामंडलेश्वर के बीच होता है. श्रीमहंत मठ या आखड़ा के विभिन्न धार्मिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वे साधुओं की गतिविधियों और मठ के कामकाज में सहयोग करते हैं और आश्रम की व्यवस्था में अपनी सहभागिता निभाते हैं.
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6. थानापति
थानापति का पद भी महत्त्वपूर्ण होता है. थानापति का काम किसी विशेष स्थल या मठ की देखरेख करना और वहाँ के संतों की सुविधाओं का ध्यान रखना होता है. ये धार्मिक आयोजनों और तीर्थस्थलों की व्यवस्था में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं.
7. सचिव
सचिव का कार्य प्रशासनिक होता है. सचिव आखड़ा के सभी कार्यों का दस्तावेजीकरण, आयोजन, और व्यावहारिक व्यवस्थाओं को संभालते हैं. कुंभ मेला जैसे बड़े आयोजन में, सचिव पदाधिकारी व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
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8. कोठारी
कोठारी किसी आखड़ा के धन-संपत्ति और आर्थिक मामलों का प्रभारी होता है. उनका कार्य मठ या आखड़ा की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन और समस्त संपत्ति की देखरेख करना होता है.
9. मुख्य पुजारी
मुख्य पुजारी धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-अर्चना का संचालन करते हैं. वे आखड़ा के मंदिरों में होने वाली पूजा का प्रमुख जिम्मा संभालते हैं.
10. प्रवक्ता
प्रवक्ता आखड़ा के विचार और संदेश को जनसमुदाय तक पहुंचाने का कार्य करते हैं. ये अखाड़ों के विचारों को मीडिया और समाज तक संप्रेषित करने का कार्य करते हैं.
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आखड़ा परंपरा की इस पदानुक्रम व्यवस्था का उद्देश्य धार्मिक अनुशासन बनाए रखना और समाज में संतों की सक्रियता को बढ़ावा देना है. इन पदों के जरिए संत समाज में अनुशासन, संतुलन और मार्गदर्शन की परंपरा को सुदृढ़ किया जाता है, ताकि सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार सही दिशा में होता रहे.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)