Maha Kumbh 2025: इस बार महाकुंभ में भारत की ओर बढ़ रही वैश्विक रुचि देखने को मिलेगी. इतिहास में पहली बार, इजरायल, अमेरिका, फ्रांस, वियतनाम, इटली, कनाडा और म्यांमार जैसे ताकतवर देशों की सेनाओं के प्रतिनिधि इस आयोजन में भाग लेंगे. इस अनोखे अवसर पर इन देशों के प्रमुख सैन्य अधिकारी, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भारत की पवित्र गंगा आरती में हिस्सा लेंगे. महाकुंभ मेला हर 12 सालों में लगता है. विश्व भर के पर्यटक और श्रद्धालु इसे देखने आते हैं और इस दौरान होने वाली गंगा आरती का हिस्सा बनते हैं. इस वर्ष के आयोजन में वैश्विक सैन्य प्रतिनिधियों का शामिल होना भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रति अंतरराष्ट्रीय रुचि को दर्शाता है. यह आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन होगा, बल्कि भारत की सैन्य और कूटनीतिक ताकत को भी प्रदर्शित करेगा.
विदेशी मेहमानों की भूमिका और उद्देश्य
महाकुंभ 2025 के इस विशेष आयोजन में शामिल होने वाले सैन्य प्रतिनिधियों का मुख्य उद्देश्य न केवल भारतीय संस्कृति को समझना है बल्कि गंगा आरती जैसी पवित्र परंपराओं का अनुभव करना भी है. हरिहर गंगा आरती समिति के द्वारा आमंत्रित इन प्रतिनिधियों के साथ भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी रहेंगे. ये एक तरह से अंतरराष्ट्रीय मित्रता और सहयोग को बढ़ावा देने का एक प्रयास है. इसके अलावा, इन विदेशी सैन्य अधिकारियों का भारत में गंगा आरती में भाग लेना उनके देशों में भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान का एक प्रतीक भी माना जा रहा है.
महाकुंभ में शामिल होने के साथ-साथ ये अधिकारी भारतीय सेना के साथ भी कुछ समय बिताएंगे. इससे दोनों देशों के सैनिकों के बीच संवाद और आपसी समझ बढ़ेगी. इनके अनुभव और विचार भारतीय सेना को भी नए दृष्टिकोण प्रदान करेंगे. महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में विदेशी सैन्य अधिकारियों का शामिल होना भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का एक नया आयाम है.
भारत की सुरक्षा के प्रति वैश्विक समर्थन और भारतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ाने के उद्देश्य से ऐसे आयोजनों का महत्व और भी बढ़ जाता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की व्यक्तिगत पहल पर इन विदेशी सैन्य अधिकारियों का महाकुंभ में स्वागत किया जाएगा, जो विश्व मंच पर भारत की बढ़ती प्रभावशीलता और सांस्कृतिक शक्ति का भी संकेत है. इजरायल, अमेरिका, फ्रांस, वियतनाम, इटली, कनाडा और म्यांमार जैसे देशों के सैन्य अधिकारी इस आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान और आकर्षण को प्रदर्शित कर रहे हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)