Prayagraj Maha Kumbh 2025: महाकुंभ के लिए प्रयागराज में जोरों से तैयारियां चल रही हैं. मेला प्राधिकरण ने इस बार विशेष रूप से 12 नवंबर से मेला क्षेत्र में भूमि और सुविधाओं के आवंटन की प्रक्रिया को शुरू करने का निर्णय लिया है. इस आयोजन के तहत सभी धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं को जमीन उपलब्ध कराई जाएगी. मेला प्रशासन ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से आवेदन प्रक्रिया का प्रबंध किया है, ताकि संस्थाओं को आवेदन करने में किसी प्रकार की असुविधा न हो. प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने संस्थाओं के पंजीकरण के लिए अपनी वेबसाइट पर आवेदन प्रक्रिया आरंभ की है जहां 12 नवंबर तक आवेदन किया जा सकता है.
कितने लोगों को मिलेगी भूमि?
पहली बार आवेदन प्रक्रिया को डिजिटल माध्यम से लागू किया गया है, जिसमें संस्थाएं घर बैठे ही आवेदन कर सकती हैं. इस बार मेला प्रशासन का लक्ष्य लगभग 10 हजार संस्थाओं से आवेदन प्राप्त करना है, जो पिछले महाकुंभ के मुकाबले दोगुना है. पिछली बार केवल 5721 संस्थाओं ने आवेदन किया था. ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण हर संस्था को यह स्पष्ट रूप से पता चल सकेगा कि उन्हें कितनी जमीन और सुविधाएं आवंटित की जाएंगी. यह नई व्यवस्था मेला आयोजन को अधिक पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाएगी.
महाकुंभ की सुरक्षा और तैयारियां
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ 2025 की सुरक्षा को लेकर व्यापक योजनाएँ बनाई हैं. इस महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आने की संभावना है, इसलिए सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं. मेला आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा, जिसमें प्रमुख स्नान तिथियों पर लाखों श्रद्धालु संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए पहुंचेंगे. इस विशाल भीड़ को ध्यान में रखते हुए मेला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को बेहद मजबूत बनाने का निर्णय लिया है.
महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने समय से पहले ही सभी व्यवस्थाओं को सुसंगठित करने की योजना बनाई है. मेला प्रशासन का उद्देश्य है कि 20 दिसंबर तक सभी पंजीकृत संस्थाओं को मेला क्षेत्र में आवश्यक भूमि और सुविधाएँ प्रदान कर दी जाएं, ताकि वे समय पर अपना पंडाल और अन्य ढांचे स्थापित कर सकें.
मेला प्राधिकरण की ओर से दी गई वेबसाइट www.mklns.upsdc.gov.in पर संस्थाएं ऑनलाइन आवेदन कर सकती हैं. इस वेबसाइट के माध्यम से संस्थाओं को भूमि और अन्य सुविधाओं के लिए आवेदन प्रक्रिया को सुगम बनाने का प्रयास किया गया है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)