Mahabharat Katha: महाभारत हमारे देश के प्राचीन और महान ग्रंथों में से एक है. असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देने वाला ये ग्रंथ न केवल पांडवों और कौरवों के युद्ध की कथा, बल्कि कुरुक्षेत्र की भूमि पर श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया गीता के ज्ञान से भी परिचित कराता है. महाभारत में श्रीकृष्ण की भूमिका अग्रणी और महत्वपूर्ण थी. युद्ध में उन्होंने पांडवों का मार्गदर्शन किया था. श्रीकृष्ण की लीलाएं और विवाह की कई कथाएं आपने सुनी होंगी. श्रीकृष्ण की प्रेमकथा कभी राधा के साथ जुड़ी तो कभी रुक्मिणी के साथ. इसके अलावा श्रीकृष्ण ने कई गोपियों का सम्मान बचाने के लिए उनके साथ शादी की थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रीकृष्ण का विवाह अर्जुन के पुत्र के साथ भी हुआ था. जी हां, अर्जुन का पुत्र इरावन जो वास्तव में एक किन्नर था. श्रीकृष्ण ने उसके साथ विवाह किया था. तो आइए जानते हैं कि आखिर किस कारण से श्रीकृष्ण ने ऐसा विवाह किया था.
अर्जुन का किन्नर पुत्र इरावन
महाभारत में पांडवों का भाई अर्जुन बहुत बलशाली था. अर्जुन धनुर्विद्या में इतना निपुण था, कि कोई भी उससे युद्ध में जीत नहीं सकता था. अर्जुन की एक पत्नी नागकन्या थी, जिसका नाम उपूली था. इन दोनों की एक सन्तान हुई थी जिसका नाम इरावन था. इरावन एक किन्नर था और उसे किन्नरों का देवता माना जाता है. इरावन बहुत रूपवान था और इसके साथ-साथ युद्धकला में भी बहुत माहिर था. महाभारत के युद्ध में भी इरावन ने बहुत अहम भूमिका निभाई थी. उनका जन्म तो एक पुरुष शरीर में हुआ था, लेकिन श्राप के कारण इरावन किन्नर बन गया था.
ऐसे हुआ श्रीकृष्ण के साथ विवाह
महाभारत के युद्ध से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा की थी, जिसके लिए एक बलि की जरूरत थी. तब इरावन ने अपनी स्वेच्छा से बलि देने के लिए हां की थी. हालांकि उनकी उनकी इच्छा थी कि बलि से पहले वह विवाह करेंगे. उस वक्त सभी चिंता में पड़ गए कि इरावन से शादी कौन करेगा, वो भी ये जानते हुए कि उसके बाद इरावन अपने प्राण त्याग देगा और उसकी पत्नी को विधवा होना होगा. उस वक्त श्रीकृष्ण ने स्त्री रूप धारण किया था और इरावन के साथ विवाह किया था.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)