नवमी यानी 7 अक्टूबर 2019 दिन सोमवार को नवमी तिथि है और इस दिन सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा की जाती है. माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है. देवी सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की उपासना से अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जैसी सभी 8 प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है. इस दिन माता सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा करने से भक्त के लिए सृष्टि में कुछ भी मुश्किल नहीं रह जाता है और उसमें ब्रह्माण्ड विजय करने की शक्ति आ जाती है.
ये हैं 8 सिद्धियां
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सिद्धियां आठ होती है. ये अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व है. वहीं ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में सिद्धियों की संख्या अठारह बताई गई है. जो अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, परकायप्रवेशन, वाक्सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व और सर्वन्यायकत्व है. मानय्ता है कि सभी देवी-देवताओं को देवी सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की कृपा से सिद्धियां प्राप्त हुई है.
मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) का स्वरूप
मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) कमल पुष्प पर विराजमान हैं और इनका वाहन सिंह है. देवी के दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में चक्र है. उनके दाहिनी तरफ के ऊपर वाले हाथ में गदा है. बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख धारण किए हुए है और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है.
महानवमी पूजा का शुभ मुहूर्त
अमृत काल मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 24 मिनट से 12 बजकर 10 मिनट तक (7 अक्टूबर 2019)
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक (7 अक्टूबर 2019)
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि (Maa Siddhidatri Ki Puja Vidhi )
नवमी के दिन मां का पूजन करके उन्हें विदाई दी जाती है. सबसे पहले शुद्ध होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद एक चौकी पर मां की प्रतिमा स्थापित करें. मां को फूल, माला, फल, नैवेध आदि चढ़ाएं. मंत्र का जाप करें और मां की आरती उतारें. इस दिन छोटी- छोटी नौ कन्याओं को घर बुलाकर उनका भी पूजन करें और उन्हें उपहार अवश्य दें.
मां सिद्धिदात्री के मंत्र (Maa Siddhidatri Ke Mantra)
1.सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी.
2.या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) का भोग
मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) को आंवले का भोग लगाया जाता है. कोई भी अनहोनी से बचने के लिए इस दिन मां के भोग में अनार को शामिल किया जाता हैं.
माता सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की कथा
देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था. मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की कृपा से देवाधिदेव महादेव का आधा शरीर देवी का हुआ था. भगवान शंकर के इस स्वरूप को 'अर्द्धनारीश्वर' स्वरूप प्राप्त हुआ था.
नवरात्र में आठ दिनों तक भक्तिभाव से उपासना के बाद नौवें व अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की उपासना से सिद्धियां प्राप्त होती हैं. देवी सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की उपासना से केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव की प्राप्ति होती है. अगर कुंडली में केतु नीच का हो या केतु की चंद्रमा से युति हो या केतु मिथुन अथवा कन्या राशि में हो षष्ट भाव में स्थित होकर नीच का एवं पीड़ित हो, उन्हें देवी सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) सर्वश्रेष्ठ फल देती हैं.
मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की आरती
जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता .
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ..
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि .
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ..
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम .
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ..
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है .
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ..
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो .
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ..
तू सब काज उसके करती है पूरे .
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ..
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया .
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ..
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली .
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ..
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा .
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ..
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता .
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ..