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Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि के इन तथ्यों से आज भी हैं सब अनजान... पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और आरती समेत जानें कुछ खास बातें

आज हम आपको महाशिवरात्रि से जुड़े कुछ बेहद ही रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं जिनसे आज भी कई लोग अनजान हैं इसके अलावा आज आपको कल महाशिवरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती समेत सभी बातों की जानकारी भी देंगे.

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Gaveshna Sharma
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Bhagwan Shiv

महाशिवरात्रि की पूजा विधि,शुभ मुहूर्त और आरती समेत जानें सभी खास बातें( Photo Credit : Social Media)

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Mahashivratri 2022: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि व्रत रखते हैं. इस वर्ष महाशिवरात्रि कल यानी 01 मार्च दिन मंगलवार को है.महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत रखने का विशेष महत्व होता है. ऐसे में आज हम आपको महाशिवरात्रि से जुड़े कुछ बेहद ही रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं जिनसे आज भी कई लोग अनजान हैं इसके अलावा आज आपको कल महाशिवरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती समेत सभी बातों की जानकारी भी देंगे. 

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महाशिवरात्रि तिथि 2022 (Mahashivratri 2022 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च, मंगलवार को है. चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी.

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Mahashivratri Shubh Muhurt)
- महाशिवरात्रि पहले पहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
- महाशिवरात्रि दूसरे पहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
- महाशिवरात्रि तीसरे पहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
- महाशिवरात्रि चौथे पहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक
- व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am

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महाशिवरात्रि व्रत (Mahashivratri Vrat)
ऋषि महर्षियों ने समस्त आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास को महत्त्वपूर्ण माना है. गीता के अनुसार उपवास विषय निवृत्ति का अचूक साधन है. आध्यात्मिक साधना के लिये उपवास करना परमावश्यक है. उपवास के साथ रात्रि जागरण का महत्व है. उपवास से इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करने वाला संयमी व्यक्ति ही रात्रि में जागकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हो सकता है. इन्हीं सब कारणों से इस महारात्रि में उपवास के साथ रात्रि में जागकर शिव पूजा करते हैं.

महाशिवरात्रि पूजा सामग्री (Mahashivratri Puja Samagri)
भगवान शिव पर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. पजून करें और अंत में आरती करें.

महाशिवरात्रि पूजा विधि (Mahashivratri Puja Vidhi)
- महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं.
- दीप और कर्पूर जलाएं.
- पूजा करते समय 'ऊं नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें.
- शिव को बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें.
- शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें.
- होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें.
- सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं.

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महाशिवरात्रि कथा (Mahashivratri Katha)
महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी. जिसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से हुआ. इसी कारण इस दिन को अत्यन्त ही महत्वपूर्ण माना जाता है.

महाशिवरात्रि शिवलिंग स्नान विधि और मंत्र (Mahashivratri Shivlinga Snaan Vidhi And Mantra) 
सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान कराने का विधान है. इतना ही नहीं चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी अलग हैं. 
'ओम अघोराय नम:।।
ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय'

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महाशिवरात्रि पूजा महत्व (Mahashivratri Puja Significance)
महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है. मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था. महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.

महाशिवरात्रि पूजा मान्यताएं (Mahashivratri Puja Belief)
मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है. यह भगवान शिव का प्रतीक है. शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन.

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Source : News Nation Bureau

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