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Mahashivratri 2023 : अगर विवाह में आ रही है अड़चने, तो करें मात्र इन मंत्रों का जाप

शनिदेव के नकारात्मक प्रभाव के कारण व्यक्ति के विवाह में देरी होती है या फिर रुकावटें आने लग जाती है.

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Aarya Pandey
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Mahashivratri 2023

Mahashivratri 2023( Photo Credit : Social Media )

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Mahashivratri 2023 : शनिदेव के नकारात्मक प्रभाव के कारण व्यक्ति के विवाह में देरी होती है या फिर रुकावटें आने लग जाती है.सही समय और आयु में शादी किसी के लिए भी शुभ माना जाता है. वहीं, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की अराधना करने से विवाहितों को सुख, सौभाग्य की प्राप्ति होती है और जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ है, उनका जल्द विवाह होने का योग बनता है. वहीं अगर आपके विवाह में रुकावटें आ रही है, तो आपको महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के साथ मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि अगर किसी भी जातक के विवाह में विलंब हो रही है या फिर कोई बाधा उत्पन्न हो रही है, तो आपको क्या उपाय करना चाहिए, ताकि शुभ फल की प्राप्ति हो, विवाह में आ रही अड़चन भी दूर हो जाएं. 

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इस दिन सफेद वस्त्र पहनें
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. इस दिन सफेद वस्त्र पहनकर भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और व्रत संकल्प कर, भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा करें. महादेव को प्रसन्न करने के लिए गंगाजल, बेलपत्र, सफेद फूल, काले तिल डालकर शिवलिंग को अर्घ्य दें. उसके बाद दूध से भगवान शिव का जलाभिषेक करें. इसके बाद जल में शहद, इत्र मिलाकर अर्घ्य दें.

इस मंत्र का जरूर करें जाप 

कुंवारी कन्या करें इस मंत्र का जाप-ओम सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा

और लड़के इस मंत्र का जाप करें-
ओम सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा
पत्नी महोरमा देहि मनोवृताहुसारिणीम
तारिणी दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम

ये उपाय जरूर करें
1.आप घर में स्फटिक के शिवलिंग की स्थापना करें और पूजा-अर्चना करें. 
2.महाशिवरात्रि के दिन राशिनुसार भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें और उनकी आरती करें. 

भगवान शिव की करें आरती 
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

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