Mahashivratri 2024: बेलपत्र का धार्मिक महत्व हिन्दू धर्म में बहुत उच्च माना जाता है. यह धार्मिक पाठकों के लिए पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है. बेलपत्र का धार्मिक महत्व मुख्य रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा में है. बेलपत्र को पूजा में उपयोग किया जाता है क्योंकि इसे विष्णु और शिव की प्रतिष्ठा में समर्पित किया जाता है. यह धार्मिक अनुष्ठानों में अहम भूमिका निभाता है और उनकी कृपा को प्राप्त करने में मदद करता है. बेलपत्र की पूजा करने से विशेष आराधना का सम्मान किया जाता है और यह श्रद्धालु को आत्मविश्वास और भक्ति में मदद करता है.
बेलपत्र का कौन सा भाग शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए?
बेलपत्र की पूजा का प्रतिष्ठान महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका मान्यता से लोगों के धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष रूप से उपयोग होता है और धार्मिक दृष्टिकोण से उन्हें आध्यात्मिक समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, बेलपत्र की पूजा करने से धार्मिक और सामाजिक उत्साह में वृद्धि होती है और लोगों को संतुष्टि और शांति प्राप्त होती है. शिवलिंग पर बेलपत्र का चिकना भाग चढ़ाना चाहिए. बेलपत्र के तीन पत्ते होते हैं, जो त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) का प्रतीक हैं. बेलपत्र का चिकना भाग शिवलिंग के मुख की ओर होना चाहिए.
इन बातों का रखें खास ध्यान
बेलपत्र ताजा और बिना किसी धब्बे के होने चाहिए. बेलपत्र को तोड़ते समय डंठल को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से पहले उसे धो लेना चाहिए. बेलपत्र को शिवलिंग पर एक-एक करके चढ़ाना चाहिए. बेलपत्र चढ़ाते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए. यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विभिन्न शास्त्रों में बेलपत्र चढ़ाने के तरीके के बारे में अलग-अलग मत हैं. इसलिए, यह सबसे अच्छा है कि आप अपने गुरु या किसी विद्वान ब्राह्मण से सलाह लें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau