पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी (Mahesh Navami 2022) मनाई जाती है. इस साल महेश नवमी 09 जून दिन गुरुवार को है. महेश नवमी माहेश्वरी समाज का प्रमुख त्योहार है. इस दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को भगवान शिव के आशीर्वाद से माहेश्वरी समाज (Mahesh Navami) की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए, इस दिन माहेश्वरी समाज महेश जयंती मनाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महेश नवमी पर भगवान शिव का अभिषेक करने से पुण्य फल की प्राप्ति (Mahesh Navami 2022 Puja) होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
महेश नवमी उत्सव
महेश नवमी मुख्य रूप से हिंदुओं का त्योहार है और देश के कई हिस्सों में विशेष रूप से राजस्थान में मनाया (Mahesh Navami 2022 celebration) जाता है. देश के सभी हिस्सों में भक्त इस दिन भगवान महेश और देवी पार्वती की पूजा करते हैं. इस दिन मंदिर फूलों से सजाए जाते हैं. इस दिन पूरे स्थान को पवित्र किया जाता है तथा शांति बनाई जाती है. इस दिन नए विवाहित जोड़ों से विशेष रूप से खुशी और सद्भावना के साथ अपने जीवन में नया चरण शुरू करने के लिए भगवान और देवी पार्वती (mahesh jayanti 2022) की पूजा करने के लिए कहा जाता है.
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महेश जयंती के अनुष्ठान
महेश नवमी पर रात भर विभिन्न यज्ञों और मंत्रो का उच्चारण किया जाता हैं. इस दिन भगवान शिव की विशेष झांकी निकाली जाती है. उनकी तस्वीरें लोगों में फैलाई जाती है. भगवान शिव की बड़ी तस्वीरें उनके अनुयायियों के द्वारा विभिन्न घरों में ले जाई जाती हैं. भगवान महेश से प्रार्थनाएं की जाती है. उनकी कहानियां और प्रशंसा सुनाई जाती है. इस दिन भगवान का अभिषेक किया जाता है और शिव-पार्वती को इस दिन मंदिरों में सुंदर ढंग से सजाया जाता है. जब सड़कों से चित्र वापस आते हैं तब, भजन संध्या मंदिर परिसर में होती है और आखिर में सभी भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं. किसी भी तरह के अनुष्ठान नहीं हैं जो इस दिन ना किए जाते हों.
लोग इस उत्सव (Mahesh Navami 2022 ritual) को भगवान शिव और देवी पार्वती के प्रति अत्याधिक समर्पण, प्रेम और विश्वास के साथ मनाते हैं. इस दिन एक विशेष धारणा ये भी है कि इस दिन, जो महिलाएं बच्चे की इच्छा रखती हैं तथा शिव से इस दिन विशेष प्रार्थनाएं करतीं हैं. उन्हें भगवान शिव आशीर्वाद देते हैं और उनकी हर इच्छा को पूरा करते हैं. केवल मंदिरों में ही इस दिन यज्ञ और प्रार्थना नहीं की जाती बल्कि, लोग अपने-अपने घरों में भी महेश-पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. इसके साथ ही शिव-पार्वती से सुखी जीवन की प्रार्थनाएं भी करते हैं.