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Mahila Naga Sadhu: महिला नागा साधु को दिल पर पत्थर रखकर करना पड़ता है एक अजीब काम, बगैर कपड़ों के रहती थी ये नागा साधु

Mahila Naga Sadhu: जब भी महिला नागा साधु का नाम आता है तो लोगों के मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि क्या महिला नागा साधुओं का जीवन भी पुरुष नागा साधुओं की तरह होता है. ऐसे में आइए आज हम आपको बताते हैं महिला नागा साधुओं से जुड़ी कुछ रोचक तथ्य के बारे में.

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Sushma Pandey
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female naga sadhu/
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Mahila Naga Sadhu:  यूं तो ज्यादातर लोगों को पुरुष नागा साधुओं के बारे में पता होगा. लेकिन शायद ही कुछ लोगों को महिला नागा साधुओं के बारे में पता होगा. आपको बता दें कि जैसे पुरुष नागा साधुओं का जीवन पूरी से ईश्वर को समर्पित होता है ठीक उसी प्रकार महिला नागा साधु भी अपने जीवन का हर पल ईश्वर की सेवा और साधना में व्यतीत करती हैं.  इनके दिन की शुरुआत और अंत दोनों ही पूजा-पाठ से होता है.  जब एक महिला नागा साधु बन जाती है, तो उसे अखाड़े के अन्य साधु 'माता' कहकर पुकारने लगते हैं. ऐसे में आइए आज हम आपको महिला नागा साधु से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी देंगे जिसे पढ़ आप भी सोच में पड़ जाएंगे. तो चलिए शुरू करते हैं.  

क्या निर्वस्त्र रहती हैं महिला नागा साधु?

नागा साधु बनने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है.  नागा साधु एक विशेष पदवी होती है जो वैष्णव, शैव और उदासीन संप्रदायों के साधुओं को दी जाती है.  यूं तो पुरुष साधुओं को नग्न रहने की अनुमति होती है, लेकिन महिला साधु ऐसा नहीं कर सकतीं. महिला नागा साधु हमेशा वस्त्र धारण करती हैं और उन्हें गेरुए रंग का एक कपड़ा पहनने की अनुमति होती है जिसे गंती कहा जाता है.  यह कपड़ा सिला हुआ नहीं होता है और इसे महिलाएं संन्यास लेने के बाद पहनती हैं. 

महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया

महिला नागा साधु बनने के लिए सबसे पहले एक महिला को 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है.  इस अवधि में अगर महिला सफल रहती है, तो उसके गुरु उसे नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं.  इस प्रक्रिया के दौरान महिला की पिछली जिंदगी की पूरी जानकारी ली जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह पूरी तरह से ईश्वर के प्रति समर्पित है और कठिन साधना करने में सक्षम है.  नागा साधु बनने से पहले महिला साधु को अपना पिंडदान करना होता है, जिससे वह अपने पिछले जीवन से मुक्ति प्राप्त कर लेती है.  इसके बाद उसके बाल मुंडवाए जाते हैं और उसे नदी में पवित्र स्नान कराया जाता है.  यही प्रक्रिया महिला साधु के नागा साधु बनने की शुरूआत होती है. 

नागा साधुओं का जीवन 

महिला नागा साधुओं का जीवन बहुत ही अनुशासित और कठोर होता है. वे सुबह जल्दी उठकर शिव की आराधना करती हैं और शाम को भगवान दत्तात्रेय की पूजा करती हैं.  उनका दिन भगवान के जाप और साधना में व्यतीत होता है.  महिला नागा साधुओं को भी पुरुष नागा साधुओं की तरह समाज में विशेष सम्मान दिया जाता है.  कुंभ मेले के दौरान वे भी नागा साधुओं के साथ पवित्र स्नान में भाग लेती हैं, हालांकि वे नग्न स्नान नहीं करतीं. वे अपने गेरुए वस्त्र पहनकर ही स्नान करती हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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