Mahila Naga Sadhu: हमारे देश में कई साधु और संत रहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक जैसे दिखने वाले ये साधु भी अलग-अलग होते हैं. जी, हां साधुओं में भी कई श्रेणियां होती हैं. कुछ एकांत जगहों में तपस्या करते हैं, तो कुछ भिक्षा मांगकर भगवान का नाम लेते हैं. साधुओं में सबसे ज्यादा कठोर जीवन नागा साधुओं का माना जाता है. आपने सुना होगा कि नागा साधु निर्वस्त्र रहते हैं और श्मशान में तांत्रिक पूजा विधि से भगवान शिव का जप करते हैं. वे मांस और लाशों को भी खाते हैं. नागा साधुओं की बात करें तो उनमें महिला नागा साधु भी होती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिला नागा साधु पुरुष नागा साधुओं जैसी नहीं होती. उनकी जीवनशैली अलग होती है. ऐसे में आइए जानते हैं महिला नागा साधुओं के जीवन के कुछ अद्भुत तथ्य.
1. क्या निर्वस्त्र रहती हैं महिला
महिला नागा साधु पुरुष नागाओं की तरह निर्वस्त्र नहीं रहती. बल्कि उन्हें इस बात की छूट होती है कि वे वस्त्र पहन सकती हैं. लेकिन उनके वस्त्र पहनने के भी कुछ नियम होते हैं. वे केवल एक ही रंग के कपड़े पहन सकती है. इसलिए वे गेरुए रंग के वस्त्र पहनती हैं. इसके साथ ही वे अपने माथे पर तिलक भी लगाती हैं. आपको बता दें कि महिला नागा साधु कम ही दिखाई देती हैं.
2. खास मौकों पर बाहर आना
महिला नागा साधुओं को यूं ही नहीं देखा जा सकता. ऐसे बहुत कम अवसर होते हैं, जब वे बाहर आती हैं. दरअसल वे दूर पहाड़ों में अपनी तपस्या करती हैं और केवल माघ और कुंभ जैसे महा उत्सवों में ही स्नान के लिए बाहर आती हैं. इसी समय उनके दर्शन हो पाते हैं. इसके उल्ट पुरुष नागा साधुओं को घूमते देखा जा सकता है.
3. जीते जी पिंड दान और मुंडन
आपको ये बात सुनकर काफी हैरानी होगी कि महिला नागा साधु जीते जी ही अपना पिंड दान कर देती हैं और अपने बाल त्यागकर मुंडन करवा लेती हैं. इसी रीति रिवाजों के बाद उन्हें नागा साधु की उपाधि मिल पाती है. उनका ये शरीर और बाल भगवान को समर्पित हो जाते हैं. वो अपना सारा जीवन भगवान को याद करती रहती हैं.
4. माता और नागिन जैसे अनेक नाम
महिला नागा साधु आपस में एक दूसरे को माता कहकर बुलाती हैं. इसके अलावा उन्हें नागिन और अवधूतानी जैसे कई नामों से भी पुकारा जाता है. उनका जीवन भी पुरुषों की भांति काफी कठिन होता है. वह कई प्रकार के कठोर नियमों की पालना करते हुए वे अपने साधु धर्म की पालना करते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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