हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक मकर संक्रांति में अब बस कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं. संक्रांति पर्व के दिन से शुभ कार्यों का मुहूर्त समय शुरू होता है. कहा जाता है कि इस दिन देवता अपनी 6 माह की निद्रा से जागते हैं. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना, एक नए जीवन की शुरुआत का दिन होता है. शास्त्रों में इस दिन को देवदान पर्व भी कहा गया है.
मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का बहुत महत्व है. कहते हैं कि इस मौके पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है. मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू, घी-कंबल-खिचड़ी दान का खास महत्व है. मकर संक्रांति पर खासतौर पर तिल भी दान किया जाता है. हालांकि इस दिन राशि अनुसार दान करने की महिमा ज्यादा बताई गई है. कई जगह मकर संक्रांति पर पतंबाजी के साथ ही दान पुण्य का दौर चलता है. तिल का दान सभी के लिए शुभ माना गया है.
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माघ मास में सूर्य जब मकर राशि में होता है, तब इसका लाभ प्राप्त करने के लिए देवी-देवता पृथ्वी पर आ जाते हैं. अत: माघ मास एवं मकरगत सूर्य जाने पर यह दिन दान-पुण्य के लिए महत्वपूर्ण है. इस दिन व्रत रखकर, तिल, कंबल, सर्दियों के वस्त्र, आंवला आदि दान करने का विधि-विधान है.
इस दिन से सूर्य दक्षिणायण से निकल कर उत्तरायण में प्रवेश करता है. विवाह, ग्रह प्रवेश के लिए मुहूर्त समय की प्रतीक्षा कर रहे लोगों का इंतजार समाप्त होता है. मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का उपयोग करने और उसके दान के पीछे भी यही मंशा है. ज्योतिष शास्त्र अनुसार तेल, शनिदेव का और गुड़, सूर्यदेव का खाद्य पदार्थ है. तिल तेल की जननी है, यही कारण है कि शनि और सूर्य को प्रसन्न करने के लिए इस दिन लोग तिल-गुड़ के व्यंजनों का सेवन करते हैं.
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मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी.
संक्रांति काल - 15 जनवरी 07:19 बजे
पुण्यकाल - 07:19 से 12:31 बजे तक
महापुण्य काल - 07:19 से 09:03 बजे तक
संक्रांति स्नान - 15 जनवरी 2020 प्रात:काल
Source : News Nation Bureau