Makar Sankranti 2023 : नया साल शुरु हो चुका है और नए साल में लोग त्योहारों को लेकर बड़े ही उत्सुक दिखाई दे रहे हैं. इस साल दिनांक 15 जनवरी दिन रविवार को मकर संक्रांति का त्योहार है. इसे देश के हर हिस्से में अलग-अलग तरीके से मनाने की परंपरा है. मकर संक्रांति को कहीं खिचड़ी के नाम से जाना जाता है, तो कहीं इसे तिल त्योहार के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन दही-चूड़ा और खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है. खासकर बिहार और उत्तरप्रदेश में दही-चूड़ा बड़े ही चाव से खाया जाता है. इस दिन गुड़ के लड्डू जिसे आम भाषा में तिलवा भी कहते हैं, इसके अलावा तिलकुट भी बनाई जाती है. इसके बिना त्योहार अधूरा माना जाता है. वहीं दही का धार्मिक महत्व भी है. इसके अलावा दही-चूड़ा को हेल्दी ब्रेकफास्ट में भी शामिल किया गया है. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि दही चूड़ा का भोग क्यों लगाया जाता है.
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दही चूड़ा का भोग क्यों लगाया जाता है?
दही चूड़ा के साथ-साथ तिलकुट और खिचड़ी मकर संक्रांति का मुख्य भोजन है.इस दिन इसे खाना बेहद शुभ होता है, इससे सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब ताजा-ताजा धान की कटाई होने के बाद चावल को पकाकर उसे खिचड़ी के रूप में सबसे पहले सूर्य देवता को भोग लगाया जाता है. इसके अलावा बिहार और उत्तरप्रदेश में दही चूड़ा का भोग सूर्य देवता को लगाया जाता है. इससे रिश्तों में मजबूती आती है. दही, चूड़ा और खिचड़ी दोस्तों को , रिश्तेदारों को दिया जाता है. जिससे रिश्तों में आपसी प्रेम बनी रहती है. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा खाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
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दही चूड़ा के क्या है हेल्थ बेनिफिट्स
दही चूड़ा को सबसे हेल्दी नाश्ता माना जाता है. दही पाचन क्रियाओं को ठीक रखने का काम करता है. इसे सुबह खाने से पाचन तंत्र ठीक रहता है और इन्सटंट एनर्जी भी मिलती है. इससे शरीर में गर्माहट बी बनी रहती है और आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा भी मिल जाता है. दही से आपके शरीर की टॉक्सिटी चली जाती है.