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Makar Sankranti Snan: मकर संक्रांति पर काले तिल और गंगाजल डालकर क्यों करते हैं स्नान, जानें धार्मिक महत्व

Makar Sankranti 2024 Snan: इस साल 77 साल बाद बन रहे दुर्लभ संयोग में मंकर संक्रांति 15 जनवरी को मनायी जाएगी. इस दिन काले तिल और गंगाजल डालकर स्नान करने के विशेष धार्मिक महत्व होता है.

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Inna Khosla
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Makar Sankranti Snan Why do people take bath with black sesame seeds and Ganga water know its religi

Makar Sankranti Snan( Photo Credit : news nation)

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Makar Sankranti Snan: मकर संक्रांति हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो सूर्य के उत्तरायण, यानी उत्तर हेमिस्फियर में सूर्य के उत्तर की दिशा में चलने का समय, को संदर्भित करता है. इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और यह सूर्य के उत्तरायण का प्रारंभ होता है. मकर संक्रांति के दिन लोग अपने घरों में अनेक प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों का आयोजन करते हैं, जिसमें स्नान एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. पानी में काले तिल और गंगाजल को मिलाकर स्नान करने का विशेष महत्व है.

काले तिल और गंगाजल डालकर करते हैं स्नान

इस रिति-रिवाज के पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक तात्पर्य है. काले तिल को धार्मिक संस्कृति में शुभता का प्रतीक माना जाता है. गंगाजल को पवित्र माना जाता है और इसे अपने शुद्धिकरण के लिए उपयोग किया जाता है. मकर संक्रांति के दिन यह स्नान करने से शरीर की शुद्धि होती है और व्यक्ति को धार्मिक उत्साह में रखने में मदद मिलती है.

सूर्य के उत्तरायण के इस महत्वपूर्ण दिन पर, लोग सूर्य देव की पूजा भी करते हैं और अपने जीवन में उज्जवलता और प्रकाश की ओर बढ़ने की कामना करते हैं. इस दिन का अनुसरण करके वे सूर्य की शक्ति को अपने जीवन में समर्पित करने का आदान-प्रदान करते हैं.

मकर संक्रांति पर काले तिल का धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति पर काले तिल का धार्मिक महत्व विशेष रूप से हिन्दू धर्म में माना जाता है। इस दिन काले तिल का सेवन करने या स्नान करने के पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कारण हैं जो शुभता और आशीर्वाद के साथ जुड़े होते हैं.

आध्यात्मिक अर्थ: काले तिल को आध्यात्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है. तिल को भगवान शनि के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है और इसे संबोधित करने के लिए काले तिल का सेवन किया जाता है.

पौराणिक कथा: एक पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्यपुत्र शनि देव की आत्मा तपस्या करते समय काले तिल के बीजों में बसी रही थी. इस कथा के आधार पर, मकर संक्रांति पर लोग शनि देव की पूजा करते हैं और उन्हें काले तिल का भोजन अर्पित करते हैं.

शनि देव की श्रद्धांजलि: मकर संक्रांति का दिन शनि देव को विशेष रूप से समर्पित होता है. इस दिन काले तिल का सेवन करके लोग शनि देव की श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं.

ऋतुराज मकर समय का सूर्योदय: मकर संक्रांति का दिन हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण ऋतुराज, यानी किसी भी ऋतु का प्रारंभ, का संकेत करता है. इस समय सूर्य उत्तरायणी में होता है और नए ऋतु का आरंभ होता है. काले तिल का सेवन इस नए ऋतु की शुभ शुरुआत का प्रतीक होता है.

इस प्रकार, मकर संक्रांति पर काले तिल का सेवन धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसे शुभता, आशीर्वाद, और आत्मिक सफलता की प्राप्ति के लिए किया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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