Makkah Mysterious Well: साढ़े चार लाख लीटर पानी रोज़ मक्का के इस कुएं से निकलता है, फिर भी ये कभी नहीं सूखता.हैरानी की बात तो ये है कि ये कुआं ऐसे रेगिस्तान में है जहां पानी की बूंद-बूंद के लिए लोग तरसते हैं. आमतौर पर कुएं से पानी निकालो तो उसका पानी धीरे-धीरे खत्म होता है. लेकिन जब बात मक्का शहर के कुएं से निकलने वाले ज़मज़म के पानी की होती है तो ये पानी ना सिर्फ चमत्कार ही है बल्कि इतना रहस्यमयी है कि इसके बारे में सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. इस कुएं से हर रोज़ हजारों की संख्या में लोग पानी निकालते हैं लेकिन इतने सालो में ना ही ये कुआं सूखा और ना ही इस कुएं के पानी का लेवल कम हुआ. यह कोई ऐसा वैसा पानी नहीं है, इस्लाम धर्म के लोगों के लिए किसी अमृत से कम नहीं है.
ज़मज़म पानी की उत्पत्ति कैसे हुई?
इस्लाम आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है और इसमें ऐसी कई कहानियां हैं जो आपने सुनी होंगी. उसी में से एक है ज़मज़म के पानी की कहानी. ऐसा कहा जाता है कि हजारों सालों पहले पैगंबर इब्राहिम अपनी पत्नी हाजरा और अपने बेटे हजरत इस्माइल को अल्लाह के दिए हुए आदेश का पालन करते हुए मक्का के रेगिस्तान में छोड़कर चले आए. बेटे स्माइल को जब प्यास लगी तो रेगिस्तान में दूर-दूर तक पानी की एक भी बूंद दिखाई नहीं दे रही थी. मासूम इस्माइल प्यास से इतना ज्यादा तड़पने लगा तब एक चमत्कार होता है कि रेत में से पानी निकलने लगता है. यही वो जगह है जहां बाद में कुएं को बना दिया गया. आज पूरी दुनिया इसे ज़मज़म के पानी के नाम से जानती है. इसी पानी को मक्का मदीना में हज की यात्रा करने गए लोग ना सिर्फ पीते हैं बल्कि सबसे पवित्र भी मानते हैं. लोग इस पानी को अपने घर पर भरकर लाते हैं क्योंकि उनकी नजरों में दुनिया का सबसे पवित्र पानी है. मान्यता है कि ये जल सभी कष्टों को दूर कर देता है.
जमजम का पानी कैसे आया था?
आखिर रेगिस्तान के बीचोंबीच कैसे ज़मज़म का पानी आता है? इसके ऊपर कई तरह की तहकीकात की गई. फिर ये नतीजा निकाला गया की ज़मज़म का पानी मक्का के पहाड़ों पर बनी दरारों से आता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार पहाड़ों पर बनी दरारें तब बनी थी जब इस्माइल ने अपना पैर जमीन पर रगड़ा था. अब आप सोच लीजिए की इस्माइल के पैर रगड़ने से मक्का में इस कदर महीन दरारें पड़ गई जिसे आज के समय के वैज्ञानिक भी देखकर काफी हैरान हो चुके हैं.
मक्का शहर के रहस्यमयी कुएँ से रोज़ 4,00,000 लीटर पानी निकलता है, फिर भी ये कभी नहीं सूखता. इस कुएँ की ख़ासियत यह है कि यह ऐसे रेगिस्तान में स्थित है जहाँ पानी की बूंद-बूंद के लिए लोग तरसते हैं. इस्लाम धर्म के लोग इसे अमृत से कम नहीं मानते हैं. जापान के वैज्ञानिक मसारू एमोटो ने इस पानी पर अपने रिसर्च की और हैरान करने वाले नतीजे सामने आए. इस पानी को मक्का मदीना में हज की यात्रा करने वाले लोग न सिर्फ पीते हैं बल्कि सबसे पवित्र भी मानते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau