Mandir Parikrama: मंदिर की परिक्रमा एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है. यह भक्तों को देवता के प्रति अपनी भक्ति और सम्मान व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है. मंदिर में परिक्रमा लगाने का धार्मिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है. परिक्रमा का अर्थ होता है मंदिर के परिधि या परिक्रमा मार्ग का चक्कर लगाना. यह एक प्रकार की ध्यानात्मक यात्रा है जिसमें भक्त मंदिर के प्रतिमा या मूर्ति के चारों ओर परिक्रमा करते हैं. परिक्रमा का धार्मिक महत्व यह है कि यह भक्त को मंदिर में विराजमान देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव दिलाता है. इसके साथ ही, परिक्रमा ध्यान में स्थिरता और ध्यान की सामर्थ्य को बढ़ाता है. यह एक प्रकार की आध्यात्मिक साधना है जो भक्त को अपने आत्मिक संयम और समाधान की ओर ले जाती है. विशेष रूप से हिन्दू धर्म में, परिक्रमा लगाने के द्वारा भक्त अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करता है और आत्मिक शुद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता है. इसके अलावा, यह एक उत्तम तरीका है भक्त के लिए मंदिर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करने का.
परिक्रमा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
1. दिशा: सामान्यतः मंदिर की परिक्रमा दक्षिणावर्त दिशा में की जाती है. दक्षिणावर्त दिशा को शुभ माना जाता है. कुछ मंदिरों में, परिक्रमा विपरीत दिशा में भी की जाती है. यह मंदिर की परंपरा और देवता के अनुसार होता है.
2. वेशभूषा: मंदिर में प्रवेश करते समय और परिक्रमा करते समय, आपको साफ-सुथरे और सभ्य कपड़े पहनने चाहिए. आपको अपने जूते या चप्पल बाहर उतारने चाहिए. महिलाओं को अपने सिर को ढंकना चाहिए.
3. आचरण: परिक्रमा करते समय आपको शांत और एकाग्र रहना चाहिए. आपको बातचीत नहीं करनी चाहिए या हंसी-मजाक नहीं करना चाहिए. आपको मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करना चाहिए. आपको मंदिर के नियमों का पालन करना चाहिए.
4. मन: परिक्रमा करते समय आपको अपने मन को देवता में लगाना चाहिए. आपको देवता का ध्यान करना चाहिए और उनकी स्तुति करनी चाहिए. आपको अपनी मनोकामनाएं देवता से प्रार्थना करनी चाहिए.
5. संख्या: परिक्रमा की संख्या मंदिर और देवता के अनुसार भिन्न होती है. आमतौर पर, 11, 21, 51, या 108 परिक्रमाएं की जाती हैं. आप अपनी क्षमता और इच्छानुसार परिक्रमा की संख्या तय कर सकते हैं.
6. भेंट: परिक्रमा के बाद, आप देवता को भेंट चढ़ा सकते हैं. भेंट में फूल, फल, मिठाई, या दीपक शामिल हो सकते हैं.
7. प्रसाद: परिक्रमा के बाद, आप प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं. प्रसाद को देवता का आशीर्वाद माना जाता है.
यह भी पढ़ें: Shivling Jal Arpan: शाम के समय शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं, जानें यहां
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau