Mangala Gauri Vrat 2023 : दिनांक 4 जुलाई को सावन का पहला मंगला गौरी व्रत है और इसी दिन से सावन माह की शुरूआत भी हो रही है. सावन माह के हर मंगलवार को मंगला का व्रत रखा जाता है. यह व्रत सभी कुंआरी और सुहागन महिलाएं रखती है. उस दिन खासकर भगवान शिव और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. अगर जिनकी कुंडली में मंगल दोष है, उसे ये व्रत अवश्य रखना चाहिए. इससे मंगल दोष दूर हो जाता है और शीघ्र ही विवाह के योग भी बनते हैं. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में मंगला गौरी व्रत का पूजा मुहूर्त और ज्योतिष उपायों के बारे में विस्तार से बताएंगे.
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जानें मंगला गौरी व्रत की तिथि, नक्षत्र और योग
सावन के पहले दिन मंगला गौरी व्रत के दिन सावन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. यह तिथि दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है. उस दिन प्रात:काल से लेकर सुबह 11 बजकर 50 मिनट तक इंद्र योग, पूर्वाषाढा नक्षत्र सुबह 08 बजकर 25 मिनट तक है. उसके बाद से उत्तराषाढा नक्षत्र है.
इस बार त्रिपुष्कर योग में है मंगला गौरी व्रत
सावन का पहला मंगला गौरी व्रत त्रिपुष्कर योग में है. इस योग में पूजा-पाठ करने से 3 गुना फल की प्राप्ति होती है. मंगला गौरी व्रत वाले दिन त्रिपुष्कर योग दोपहर 01 बजकर 38 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 05 बजकर 28 बजे तक है.
जानें मंगला गौरी व्रत का पूजा मुहूर्त
दिनांक 4 जुलाई को मंगला गौरी व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 10 मिनट मिनट तक है.
लाभ-उन्नति मुहूर्त - सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 25 मिनट बजे तक है.
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 10 मिनट तक है.
इस दिन जरूर करें ये उपाय
1. अगर आपकी कुंडली में मंगल दोष है, तो मंगला गौरी व्रत और पूजा विधिपूर्वक करें. इस दिन इस मंत्र का खास जाप करें.
श्री मंगला गौरी मंत्र
ॐ गौरीशंकराय नमः
2. सुहागन महिलाएं माता गौरी को 16 श्रृंगार की सामग्री जैसे सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहदी, महावर, लाल चुनरी आदि चढ़ाएं. उसके बाद मंगला गौरी व्रत कथा पढ़ें. माता गौरी से अखंड सौभाग्य की प्रार्थना करें. उनके आशीर्वाद से आपके पति की आयु लंबी होगी और संतान सुख प्राप्त होगा.
3. सावन के मंगलवार को एक लाल कपड़े में 2 मुट्ठी मसूर की दाल बांध दें. फिर उसे किसी भिखारी या जरूरतमंद को दान करें. इससे कुंडली में स्थित मंगल दोष से आपको मुक्ति मिल जाएगी.