Aarti Mangal Dev Ki: आज बड़ा मंगल है, आप अपनी कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत करना चाहते हैं तो मंगल देव की पूजा करें और उनकी आरती उतारें. मंगल देव (Mars) हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता और ग्रह हैं. उन्हें साहस, शक्ति, और ऊर्जा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. मंगल देव का स्वभाव उग्र और क्रियाशील है, और वे युद्ध और जीत के देवता माने जाते हैं. ज्योतिष में, मंगल ग्रह को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति की ऊर्जा, साहस, प्रतिस्पर्धात्मकता, और सैन्य गुणों को प्रभावित करता है. एक कथा अनुसार, मंगल देव का जन्म धरती माता (भूदेवी) और भगवान विष्णु के पसीने से हुआ माना जाता है. एक अन्य कथा के अनुसार, मंगल देव का जन्म भगवान शिव और माता पार्वती के तेज से हुआ था. उनका लाल रंग उग्रता और शक्ति का प्रतीक है.
मंगलदेव की आरती
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ।
मंगल- मंगल देव अनन्ता ॥
हाथ वज्र और ध्वजा विराजे,
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।
शंकर सुवन केसरी नन्दन,
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ॥
लाल लंगोट लाल दोऊ नयना,
पर्वत सम फारत है सेना ।
काल अकाल जुद्ध किलकारी,
देश उजारत क्रुद्ध अपारी ॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ॥
रामदूत अतुलित बलधामा,
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा |
महावीर विक्रम बजरंगी,
कुमति निवार सुमति के संगी॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ॥
भूमि पुत्र कंचन बरसावे,
राजपाट पुर देश दिवावे।
शत्रुन काट-काट महिं डारे,
बन्धन व्याधि विपत्ति निवारें ॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ॥
आपन तेज सम्हारो आपै,
तीनों लोक हाँक तें कांपै।
सब सुख लहैं तुम्हारी शरणा,
तुम रक्षक काहू को डरना ॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ॥
तुम्हरे भजन सकल संसारा,
दया करो सुख दृष्टि अपारा।
रामदण्ड कालहु को दण्डा,
तुम्हरे परस होत जब खण्डा ॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ॥
पवन पुत्र'धरती के पूता,
दोऊ मिल काज करो अवधूता ।
हर प्राणी शरणागत आये,
चरण कमल में शीश नवाये ॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ॥
रोग शोक बहुत विपत्ति घिराने,
दरिद्र दुःख बन्धन प्रकटाने ।
तुम तज और न मेटनहारा,
दोऊ तुम हो महावीर अपारा ॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ॥
दारिद्र दहन ऋण त्रासा
करो रोग दुःख स्वप्न विनाशा ।
शत्रुन करो चरन के चेरे,
तुम स्वामी हम सेवक तेरे ॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ॥
विपत्ति हरण मंगल देवा,
अङ्गीकार करो यह सेवा ।
मुदित भक्त विनती यह मोरी,
देऊ महाधन लाख करोरी ॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता॥
श्री मंगल जी की आरती,
हनुमत सहितासु गाई।
होई मनोरथ सिद्ध जब,
अन्त विष्णुपुर जाई ॥
मंगल मूरति जय जय हनुमन्ता ॥
यह आरती मंगलदेव की भक्ति में गाई जाती है. इस आरती में मंगलदेव की वीरता, शक्ति, और दया का वर्णन किया गया है. इस आरती को गाने से मंगलदेव की कृपा प्राप्त होती है. आप भी इस आरती को गाकर मंगलदेव की भक्ति कर सकते हैं. मंगल देव हिंदू धर्म में शक्ति, साहस और ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं. ज्योतिष में इनका विशेष महत्व है, और इनकी पूजा और उपाय करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों को कम किया जा सकता है. मंगल देव की कृपा से व्यक्ति साहसी, शक्तिशाली और सफल बनता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau