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Masik Durga Ashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा और करें ये खास आरती, मां अंबे होंगी बेहद प्रसन्न

Masik Durga Ashtami Vrat Katha: माना जाता है कि मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसके साथ ही इस दिन पूजा के बाद व्रत कथा जरूर पढ़ें. इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं.

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Sushma Pandey
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Masik Durga Ashtami Vrat Katha

Masik Durga Ashtami Vrat Katha( Photo Credit : SOCIAL MEDIA )

Masik Durga Ashtami Vrat Katha: कल यानि 14 जून को ज्येष्ठ माह की मासिक दुर्गाष्टमी है. पंचांग के अनुसार, मासिक दुर्गाष्टमी हर महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. यह व्रत देवी दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है.  माना जाता है कि इस व्रत को करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. वहीं इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को पूजा के बाद व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए और मां दुर्गा की आरती भी जरूर करनी चाहिए. इससे मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी आशीर्वाद बरसाती हैं. यहां पढ़ें पूरी व्रत कथा और आरती. 

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मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत कथा  (Masik Durga Ashtami Vrat Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार दैत्य दुर्गम ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया था. उसने कई देवताओं को मार डाला और स्वर्ग में तबाही मचा दी.  इन सबमें सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था. तब उसका अंत करने के लिए भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूप मां दुर्गा को बनाया. हर देवता ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किए. इसके बाद देवी दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया. तभी से दुर्गा अष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा. 

मां दुर्गा आरती (Maa Durga Aarti)

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जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।

तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥

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केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।

सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥

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भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।

श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।

कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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