Masik Shivratri 2023: जानें कब है मासिक शिवरात्रि, इस दिन बन रहा है खास संयोग

हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शविरात्रि का व्रत रखने की परंपरा है.

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Aarya Pandey
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Masik Shivratri 2023

Masik Shivratri 2023( Photo Credit : social media )

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Masik Shivratri 2023 : हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शविरात्रि का व्रत रखने की परंपरा है. इस तिथि पर भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए शविरात्रि पर व्रत रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.  इस दिन भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करना बेहद जरूरी होता है. अब ऐसे में इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, पूजा विधि क्या है. इसके बारे में आज हम आपको अपने इस लेख में विस्तार से बताएंगे. 

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जानें कब है मासिक शिवरात्रि 
ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि दिनांक 17 मई दिन बुधवार को है. इस दिन त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि का संयोग होने के कारण इस दिन बुध प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा. ये दोनों ही शिव को बेहद प्रिय है. इसलिए इस दिन भगवान भोलेनाथ की खास पूजा करनी चाहिए. 

जानें ज्येष्ठ मासिक शिवरात्रि के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के हिसाब से ज्येष्ठ माह की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत दिनांक 17 मई को रात 10:28 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 18 मई को रात 09:42 पर इसका समापन होगा. मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा रात्रि में होती है. 

इस दिन  शिव पूजा का शुभ समय दिनांक 17 मई को रात 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दिनांक 8 मई को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. 

इस विधि से करें मासिक शिवरात्रि के दिन पूजा 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत और पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और सकारात्मकता का संचार होता है. अगर आपके जीवन में समस्याएं खत्म नहीं हो रही है, शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है. इश दिन भगवान शिव को पूजा में बेलपत्र, मदार का फूल, गंगाजल, गाय का कच्चा दूध, अक्षत, सफेद चंदन, शक्कर और शहद चढ़ाएं. इसके अलावा जो भक्त इस दिन व्रत रख रहे हैं, वे कथा जरूर सुनें, क्योंकि बिना कथा के पूजा अधूरी मानी जाती है. 

इस दिन करें इन मंत्रों का जाप 
ॐ ईशानाय नम: 
ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः 
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय।नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे"न" काराय नमः शिवायः॥
ॐ इं क्षं मं औं अं
ॐ पार्वतीपतये नमः
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा 

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