Masik Shivratri 2024 Vrat Katha: मासिक शिवरात्रि पर जरूर पढ़ें व्रत कथा, शिव जी की कृपा से होगा महालाभ!

Masik Shivratri 2024 Vrat Katha: अगर आप आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं या फिर अपने जीवन में परेशानियों से जूझ रहे हैं तो मासिक शिवरात्रि की रात भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के बाद ये व्रत कथा जरूर पढ़ लें.

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Sushma Pandey
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Masik Shivratri 2024 Vrat Katha
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Masik Shivratri 2024 Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार, आज 01 सितंबर 2024 को भाद्रपद माह की मासिक शिवरात्रि है. हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का बेहद महत्व माना जाता है. इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है. शास्त्रों की मानें तो शिवरात्रि की रात भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी होता है. ऐसा माना जाता है कि इससे शिव जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. ऐसे में अगर आप आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं या फिर अपने जीवन में परेशानियों से जूझ रहे हैं तो मासिक शिवरात्रि की रात भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के बाद ये व्रत कथा जरूर पढ़ लें. 

मासिक शिवरात्रि व्रत कथा

शिव पुराण की कथाओं में शिवरात्रि का महत्व और इससे जुड़ी कई कहानियां मिलती हैं.  ऐसी ही एक कहानी है चित्रभानु नामक शिकारी की जिसने अनजाने में ही शिवरात्रि का व्रत रखा और भगवान शिव की कृपा प्राप्त की. यह कहानी हमें बताती है कि सच्चे मन से की गई पूजा का फल अवश्य मिलता है, चाहे वह जानबूझकर हो या अनजाने में. 

पुराणों के अनुसार, प्राचीन काल में चित्रभानु नाम का एक शिकारी था जो अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए जंगल में जानवरों का शिकार करता था. उस पर एक साहूकार का कर्ज था, जिसे वह काफी समय से चुका नहीं पा रहा था.  साहूकार क्रोधित होकर उसे शिवमठ में बंदी बना लेता है.  संयोगवश, उस दिन शिवरात्रि थी और साहूकार के घर शिव पूजा हो रही थी. शिकारी ध्यानपूर्वक शिव से संबंधित बातें सुनता रहा और शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी. 

शाम को साहूकार ने शिकारी को बुलाकर उससे कर्ज चुकाने की बात की.  शिकारी ने अगले दिन कर्ज चुकाने का वचन दिया और साहूकार ने उसे छोड़ दिया.  शिकारी अपनी दिनचर्या के अनुसार शिकार के लिए जंगल गया, लेकिन दिनभर बंदीगृह में रहने के कारण वह भूखा-प्यासा था.  शिकार खोजते-खोजते वह जंगल में दूर निकल गया और रात हो गई. तब उसने सोचा कि उसे रात जंगल में ही बितानी पड़ेगी.  वह एक तालाब के पास बेल के पेड़ पर चढ़ गया और रात का इंतजार करने लगा. 

शिकारी जिस पेड़ पर चढ़ा था उसके नीचे एक शिवलिंग था जो बेलपत्रों से ढका हुआ था, लेकिन शिकारी को इसका पता नहीं था.  जब उसने पेड़ की टहनियां तोड़ीं तो कुछ पत्ते शिवलिंग पर गिर गए. इस तरह से शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए.  एक पहर रात बीतने पर एक गर्भवती हिरणी तालाब पर पानी पीने आई.  शिकारी ने जैसे ही तीर चलाने का प्रयास किया, हिरणी बोली, "मैं गर्भवती हूं और जल्द ही बच्चे को जन्म दूंगी. तुम एक साथ दो जीवनों की हत्या करोगे, जो उचित नहीं है.  मुझे जाने दो, मैं बच्चे को जन्म देकर वापस आऊंगी. "

शिकारी ने हिरणी की बात मानकर उसे जाने दिया.  जब शिकारी ने तीर छोड़ते वक्त प्रत्यंचा ढीली की, तो कुछ और बेलपत्र शिवलिंग पर गिर गए. इस तरह, अनजाने में ही शिकारी ने पहला पहर शिव की पूजा पूरी की. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

 

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