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Mata Ki Sawari: इस बार शारदीय नवरात्रि में किस पर सवार होकर आएंगी माता? जानें जीवन पर क्या पड़ेगा असर

Mata Ki Sawari: इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्तूबर से शुरू हो रही है. हर साल माता विभिन्न वाहनों पर सवार होकर आती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इस बार माता की सवारी क्या है?

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Sushma Pandey
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Mata Ki Sawari: नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल भक्तों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है. इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्तूबर से शुरू हो रही है और 11 अक्तूबर तक चलेगी.  12 अक्तूबर को दुर्गा विसर्जन और विजयदशमी मनाई जाएगी. इस दौरान 9 दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है. हर साल माता विभिन्न वाहनों पर सवार होकर आती हैं और माता के वाहन के अनुसार, देश-दुनिया पर कुछ न कुछ प्रभाव देखने को मिलता है. ऐसे में आइए इस लेख में आज हम आपको बताते हैं इस बार माता किस वाहन पर सवार होकर आ रही हैं. साथ ही जानिए देश-दुनिया पर इसका क्या प्रभाव देखने को मिलेगा. 

क्या है माता की सवारी?

माता की सवारी नवरात्रि की शुरुआत के दिन के अनुसार तय होती है.  यानि कि अगर नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है, तो माता की सवारी हाथी होती है. जबकि मंगल और शनि के दिन शुरुआत होने पर माता की सवारी घोड़ा होता है. वहीं, गुरु और शुक्रवार को शुरुआत होने पर माता की सवारी डोली या पालकी होती है. ऐसे में इस साल नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार को हो रही है इसलिए इस बार माता की सवारी डोली होगी. 

इस सवारी का कैसा होगा प्रभाव?

धर्म के जानकार मानते हैं कि जब माता नवरात्रि के दौरान डोली या पालकी पर सवार होकर आती हैं, तो इसे एक अच्छा संकेत नहीं माना जाता है.  इस सवारी के साथ कई संभावित समस्याएं जुड़ी होती हैं.  डोली पर सवार होकर माता के आने से देश-दुनिया में आंदोलनों और महामारी फैलने का खतरा बढ़ सकता है. राजनीतिक संघर्ष और सामाजिक तनाव भी देखने को मिल सकते हैं.  इस दौरान लोगों की सेहत में गिरावट आ सकती है. 

परिवारिक जीवन में मतभेद और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.  डोली पर सवार होकर आती माता के साथ अराजकता की स्थिति बन सकती है, और किसी कारणवश हिंसा भी हो सकती है.  ऐसे में इन समस्याओं से बचने के लिए, भक्तों को चाहिए कि वे माता की पूजा पूरे विधि-विधान से करें.  इससे वे कई मुश्किल परिस्थितियों से बच सकते हैं और शांति बनाए रख सकते हैं. इस नवरात्रि में भी भक्तों की यही कोशिश होनी चाहिए कि वे माता की पूजा में पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ शामिल हों. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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