Mata Sita Ke Shraap Ki Katha: आमतौर पर हम सभी लोगों ने रामायण देखी होगी और पढ़ी भी होगी. यूं तो रामायण की कई कथाएं प्रचलित हैं, इन्हीं में से एक माता सीता के श्राप को लेकर है. शांत और सरल स्वभाव की माता सीता ने एक बार क्रोध में आकर कुछ लोगों को भयंकर श्राप दे दिया था.जिसका खामियाजा ये आज भी भुगत रहे हैं. दरअसल माता सीता है उन प्राणियों को भयंकर श्राप दिया था जिन्होंने भगवान राम के सामने झूठ बोला था.ऐसे में आइए इस लेख के जरिए आज हम आपको बताते हैं रामायण के इस अनोखे किस्से के बारे में.
राजा दशरथ के श्राद्ध से जुड़ा है किस्सा
रामायण का यह अनोखा किस्सा राजा दशरथ के श्राद्ध से जुड़ा है. एक कथा के अनुसार, 14 वर्षों के वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण पितृ पक्ष के समय राजा दशरथ का श्राप करने गया पहुंचे थे. इसके बाद प्रभु श्री राम और लक्ष्मण श्राद्ध की विधि में प्रयोग होने वाली जरूरी सामग्री जुटाने के लिए नगर निकल गए. काफी समय बित जाने के बाद भी श्री राम और लक्ष्मण श्राद्ध के स्थान पर नहीं पहुंचें. ऐसे में पिंडदान के लिए शुभ मुहूर्त खत्म होता देख माता सीता ने खुद फल्गू नदी के तट पर राजा दशरथ का पिंडदान कर श्राद्ध कर्म की विधि को पूर्ण किया. इस विधि को उन्होंने वहां मौजूद वटवृक्ष, केतकी के फूल और गाय के सामने किया.
प्रभु श्री राम ने माता सीता से मांगा साक्ष्य
जब श्री राम और लक्ष्मण वापस लौटें तब माता सीता ने श्राद्ध कर्म की विधि पूरी होने की बात बताई. इस पर प्रभु श्री राम ने उनसे साक्ष्य मांगा. जब माता सीता ने वहां मौजूद वटवृक्ष, केतकी के फूल और गाय और फल्गू नदी से पूछा तो केतकी, गाय और फल्गू नदी ने श्री राम के सामने झूठ बोल दिया और सिर्फ वट वृक्ष ने माता सीता साथ दिया और प्रभु के सामने राजा दशरथ के पिंडदान की बात स्वीकारी.
माता सीता इन लोगों को दिया भयंकर श्राप
इस पर माता सीता ने केतकी फूल, गाय और फल्गू नदी को भयंकर श्राप दे दिया. माता सीता ने केतकी फूल को पूजा में वर्जित होने का, गाय को झूठा खाने और फल्गु नदी को सूखने का श्राप दे दिया. इसके अलावा वट वृक्ष को सच बोलने पर उन्हें वरदान देते हुए कहा कि आज से वट वृक्ष का पेड़ सुहाग का प्रतीक माना जाएगा.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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