Metals And Their Religious Benefits: विश्वभर में लगभग 94 तरह की धातुएं हैं. उनमें से कुछ धातुओं के धार्मिक तो किसी धातु के आर्युर्वेदिक लाभ भी हैं. सोना और चांदी के अलावा भी कुछ धातुएं ऐसी और भी हैं जो प्रचलित है. भारत में जिन धातुओं का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है वो कौन-कौन सी धातुएं हैं और उनके क्या लाभ हैं ये सब हम आपको विस्तार से बता रहे हैं. विभिन्न धातुओं को हिंदू धर्म और आयुर्वेद में धार्मिक और चिकित्सा उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है. तो आइए उन्ही मुख्य धातुओं और उनके धार्मिक और आयुर्वेदिक लाभ के बारे में जानें.
रौप्य (Silver):
धार्मिक लाभ: रौप्य को पुरानी संस्कृति में शुभता और प्राचीनता का प्रतीक माना जाता था. इसे देवी-देवताओं के मूर्तियों, मंदिरों, और पूजा सामग्री में उपयोग किया जाता है.
आयुर्वेदिक लाभ: रौप्य का आयुर्वेदिक और होमियोपैथिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है, विशेषकर कुष्ठरोग, ज्वर, और श्वास में.
सोना (Gold):
धार्मिक लाभ: सोना हिंदू धर्म में ऐश्वर्य, पौष्टिकता, और शुभता का प्रतीक माना जाता है। सोने के आभूषण, मूर्तियां, और देवताओं के पूजा सामग्री में उपयोग होता है.
आयुर्वेदिक लाभ: सोने को आयुर्वेदिक चिकित्सा में बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि रक्तदाब को नियंत्रित करना और तंतुरक्त रोगों का इलाज.
तांबा (Copper):
धार्मिक लाभ: तांबे को हिंदू धर्म में शुभता और कुशलता का प्रतीक माना जाता है। कुछ पूजा सामग्री में तांबा का उपयोग होता है.
आयुर्वेदिक लाभ: तांबा के लंगर और पानी के पात्रों का उपयोग करने से आयुर्वेदिक दृष्टि से शरीर को कई लाभ होते हैं, जैसे कि अग्नि में सुधार, इम्यून सिस्टम को मजबूती देना, और रक्तशोध को कम करना.
लोहा (Iron):
धार्मिक लाभ: लोहा को धार्मिक रूप से अनेक समर्पणों में शामिल किया जाता है, विशेषकर शनि देव की पूजा में.
आयुर्वेदिक लाभ: लोहा को हमारे शरीर के लिए महत्वपूर्ण धातु माना जाता है, जो हमारे हीमोग्लोबिन के निर्माण में मदद करता है। इसका सही स्तर रखने से रक्तशोध, एनीमिया, और अन्य रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है.
चांदी (Silver):
धार्मिक लाभ: चांदी को देवी-देवताओं की मूर्तियों और पूजा सामग्री में उपयोग किया जाता है। इसे पुरानी संस्कृति में अमृत का प्रतीक माना जाता था.
आयुर्वेदिक लाभ: चांदी को आयुर्वेदिक और होमियोपैथिक चिकित्सा में बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है, विशेषकर जलवायु और त्वचा संबंधित समस्याओं के लिए.
ये धातुएं हिंदू धर्म और आयुर्वेद में धार्मिक और चिकित्सा उद्देश्यों के लिए उपयोग होती हैं. यहां उनके सही प्रयोग के लिए अपने वैद्य से परामर्श करना महत्वपूर्ण है. किसी भी तरह की सलाह को मानने से पहले या किसी जानकारी को पुख्ता करने के लिए एक्सपर्ट की राय बहुत ही जरूर होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
Source : News Nation Bureau