मोक्षदा एकादशी Mokshada Ekadashi December 2021 पर भगवान श्री कृष्ण, महर्षि वेद व्यास और श्रीमद् भागवत गीता की पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के असर से मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है. उन्हें अपने कर्मों के बंधन से मुक्ति मिल जाती है. इस व्रत से मनुष्य के पापों का नाश होता है. इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर के दिन मंगलवार को मनाई जा रही है.
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Mokshada Ekadashi 2021 Puja Vidhi)
1. मोक्षदा एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व दशमी को दोपहर में एक बार भोजन करें. रात में भोजन न करें.
2. एकादशी के दिन सुबह के वक्त स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
3. व्रत का संकल्प लेने के बाद धूप, दीप और नैवेद्य आदि को अर्पित करें. भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें.
4. रात में पूजा और जागरण करना चाहिए.
5. एकादशी के अगले दिन द्वादशी के बाद जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन व दान से विशेष लाभ मिलेगा.
मोक्षदा एकादशी तिथि
मोक्षदा एकादशी तिथि 13 दिसंबर सोमवार की रात 09 बजकर 32 मिनट से शुरू होने वाली है. ये अगले दिन 14 दिसंबर को रात 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के कारण मोक्षदा एकादशी का व्रत 14 दिसंबर दिन मंगलवार को रखना होगा. व्रत का पारण 15 दिसंबर की सुबह सात बजकर 5 मिनट से सुबह 09 बजकर 09 मिनट के बीच कर लेना चाहिए.
मोक्षदा एकादशी कथा
एक बार गोकुल नगर में वैखानरस नामक राजा राज्य करता था. उसके सपने में एक दिन उसके पिता दिखाई दिए, जो नरक के दुख भोग रहे थे. वे अपने पुत्र से उद्धार की याचना करते हैं. अपने पिता की इस दशा को देखकर राजा परेशान हो उठा. अगले दिन उन्होंने राज पुजारी से इस मामले में सलाह ली. उन्होंने पर्वत मुनि के आश्रम पर जाकर अपने पिता के उद्धार को लेकर उपाय पूछने की सलाह दी. राजा से कहा गया कि पूर्वजन्मों के कर्मों के कारण उनके पिता को नर्कवास मिला है. उन्होंने कहा कि तुम मोक्षदा एकादशी का व्रत करो और उसका फल अपने पिता को अर्पण करों. इसके बाद राजा ने मुनि के कहे अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा और दान किया. जिसके बाद व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई.
Source : News Nation Bureau