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देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा का अपहरण कर चांद ने रचा ली थी शादी, पढ़ें पौराणिक कथा

चंद्रमा से जुड़े विवादों को लेकर एक और बेहद प्रचलित पौराणिक मान्यता है. जिसका संबंध देवों के गुरु बृहस्पति से जुड़ा है.

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nitu pandey
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देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा का अपहरण कर चांद ने रचा ली थी शादी, पढ़ें पौराणिक कथा

प्रतिकात्मक फोटो

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भारत चांद पर फतह करने जा रहा है. चंद्रयान-2 के जरिए इंडिया चांद के 'रहस्य' की खोज करेगा. लेकिन चांद को लेकर कई पौराणिक कथा है. चंद्रमा से जुड़े विवादों को लेकर एक और बेहद प्रचलित पौराणिक मान्यता है. जिसका संबंध देवों के गुरु बृहस्पति से जुड़ा है. कहते हैं, बृहस्पति से शिक्षा प्राप्त करने के बाद चंद्रमा ने एक ऐसा अपराध कर दिया जिससे देवगुरु का क्रोध चरम पर पहुंच गया. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि चंद्रमा ने बृहस्पति की पत्नी तारा का अपहरण कर लिया. चंद्रमा ने तारा से विवाह कर लिया जिससे बुध ग्रह का जन्म हुआ.

इस विवाद के बाद बृहस्पति और चंद्रमा में भीषण युद्ध हुआ. उस युद्ध में बृहस्पति ने चंद्रमा को पराजित कर दिया. कहते हैं उसके बाद चंद्रमा को बृहस्पति की पत्नी तारा को वापस करना पड़ा.

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चांद कैसे बन गया सुहाग का प्रतीक ?

इन तमाम विवादों के बावजूद चंद्रमा देवों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय देवता माने जाते हैं. जिनकी पूजा का विधान सनातन काल से चला आ रहा है. खासकर शादीशुदा स्त्रियों के लिए तो चंद्रमा उनके सुहाग की सलामती का प्रतीक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी शादीशुदा महिला करवाचौथ के दिन व्रत रखकर चांद की पूजा करती है. उसका पति दीर्घायु और यशस्वी होता है. इसकी वजह ये मानी जाती है कि चांद को ब्रह्मा से लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है. इसके अलावा चंद्रमा सुंदरता, शीतलता और प्रेम के भी प्रतीक माने जाते हैं. इसलिए करवाचौथ के दिन महिलाएं चांद को देखकर ये सभी गुण अपने पति में पाने की कामना करती हैं.

दुनिया के हर धर्म में चांद का महत्व

सिर्फ हिंदू धर्म ही नहीं दुनिया के कई धर्मों और मान्यताओं में चांद को बेहद पवित्र और फलकारी माना जाता है. इस्लाम में चांद की अहमियत इतनी ज्यादा है कि मुस्लिम धर्म को मानने वाले ग्रेगोरियर कैलेंडर को नहीं बल्कि लूनर कैलेंडर यानी हिजरी कैलेंडर को मानते हैं. कहते हैं, रसूल ने मक्का से मदीना की यात्रा करते हुए ही अपनी हिजरत की शुरुआत की थी. इसलिए इस्लाम में हर नए महीने की शुरुआत एक नए चांद से होती है जिसमें उसका स्वरूप घटता बढ़ता रहता है. पूरे साल में सबसे खास होता है ईद का चांद क्योंकि वो बड़ी मुश्किल से दिखता है.

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हिंदू धर्म और इस्लाम के अलावा ग्रीक मान्यताओं में भी चांद सदियों से आस्था और श्रद्धा का प्रतीक रहा है. ग्रीक माइथोलॉजी के मुताबिक उनकी आर्टेमिस देवी चांद की अधिपति हैं. जिनकी पूजा नहीं करने से प्राकृतिक आपदा आती है.

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