Mysterious Temples: भारत में अनगिनत मंदिर हैं, जिनका इतिहास सैकड़ों और हज़ारों वर्ष पुराना है. इन मंदिरों में ऐसे कई चमत्कार हुए हैं जिन्हें लोगों ने देखा है. मान्यता है कि इन मंदिरों में दर्शन मात्र से सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख शांति आती है. विश्वभर से लोग भारत के इन मंदिरों में चमत्कार देखने आते हैं. कुछ मंदिरों में साक्षात चमत्कार नज़र आते हैं तो कुछ मंदिरों के रहस्यों के बारे में आज तक विज्ञान भी पता नहीं लगा पाया है. ऐसे ही भारत के विश्व प्रसिद्ध 5 रहस्यमयी मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जिनकी जानकारी लेने का बाद आप भी यहां जाकर दर्शन जरूर करना चाहेंगे.
ज्वाला देवी का मंदिर, कांगड़ा घाटी, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा घाटी के दक्षिण दिशा में 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ज्वाला देवी मंदिर भारत के रहस्यमय मंदिरों में से एक है. यह मंदिर मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है. माना जाता है. कि यहीं पर माँ सती की जीभ गिरी थी. कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज महाभारत काल में पांडवों ने की थी. कहा जाता है कि सतयुग में भूमिचंद नाम का एक राजा हुआ करता था जो महाकाली का परम भक्त था. एक बार सपने में मां काली आती है जिसके बाद वह यहीं पर महाकाली का एक भव्य मंदिर का निर्माण करता है. इस मंदिर की सबसे रहस्यमय बात यह है कि इस मंदिर में हजारों वर्षों से मां के मुख से अग्नि निकल रही है जिसके पीछे का कारण अब तक पता नहीं चल पाया है. इस मंदिर में अलग अलग जगह से अग्नि के नौ लपटे निकलती है जो अलग अलग नौ देवियों का स्वरूप माना जाता है. अग्नकी इन लपटों के पीछे का कारण? सैनिकों का मानना है कि यह मृय ज्वालामुखी की अग्नि हो सकती है.
वीरभद्र मंदिर, लेपाक्षी, अनंतपुर, आंध्र प्रदेश
भारत के रहस्यमय मंदिरों के सूची में वीरभद्र मंदिर का नाम भी शामिल है. यह मंदिर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक छोटे से ऐतिहासिक गांव लेपाक्षी में स्थित है. इसीलिए इस मंदिर को लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर में कुल 72 पिलर है, जिनमें से एक पिलर छत को तो छूता है, लेकिन जमीन से उठा हुआ है. जिसके कारण इस पिलर को हैंगिंग पिलर कहते हैं. अब तक देश विदेश के कई इंजीनियर इसके बारे में जांच पड़ताल कर चूके हैं, लेकिन कोई भी इंजीनियर इस रहस्य को सुलझा नहीं पाया. इस मंदिर में आने वाले पर्यटक रूमाल या किसी भी कपड़े को पिल्लर के एक तरफ से दूसरी ओर निकालकर पिल्लर का जमीन से उठे हुए होने की सत्यता को जांचने का प्रयत्न करते हैं. इस मंदिर का निर्माण विजय नगर शैली में किया गया है. मंदिर में विभिन्न देवी देवताओं, नृतकी एवं संगीतकारों के चित्रों को चित्रित किया गया है. मंदिर की दीवारों पर खंभों एवं छत पर महाभारत और रामायण काल की कई कहानियों को चित्रित किया गया है. मंदिर के अंदर 14 फुट ऊंचा वीरभद्र की एक वॉल पेंटिंग भी है, जिसे मंदिर. के छत पर बनाई गई भारत की सबसे बड़ी वॉल पैंटिंग मानी जाती है.
श्रीकाल भैरव मंदिर, उज्जैन
उज्जैन का काल भैरव मंदिर के बारे में आखिर कौन नहीं जानता है इस मंदिर का रहस्य देश विदेश तक लोक प्रसिद्ध है. उज्जैन को आकाश और धरती का केंद्र माना जाता है. यहां पर स्थित काल भैरव मंदिर की कई रहस्यमय घटनाएं. लोगों को आश्चर्य चकित कर देती है. इस मंदिर को लेकर सबसे ताज्जुब की बात यह है कि जहाँ भारत के अन्य मंदिरों के आसपास एक भी शराब की दुकान मौजूद नहीं होती है बल्कि अगर होती भी है तो उन्हें हटवा दी जाती है. यह दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहाँ पर काल भैरव को खुद श्रद्धालु शराब पिलाते हैं. आज तक लोगों को पता ही नहीं चला कि वह शराब आखिर जाता कहां है? इस मंदिर के परिसर से लेकर इसके रास्ते में ना जाने कितनी ही शराब की दुकानें मौजूद हैं. यहाँ तक की प्रसाद बेचने वाले लोग भी अपने पास शराब रखते हैं. इसके अतिरिक्त इस मंदिर को लेकर यह भी रोचक तथ्य है कि इस मंदिर के सीमा में कोई भी राजा या राजपरिवार से जुड़े लोग रात में नहीं ठहर सकते हैं. क्योंकि उज्जैन का राजा एकमात्र भगवान शिव को ही माना जाता है. जीस कारण अगर कोई भी उच्च पद का व्यक्ति यहाँ पर रात में ठहरता है तो उसके साथ अशुभ घटनाएं होती है.
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर, गुजरात
भारत के तमाम रहस्यमय मंदिरों में से एक स्तंभेश्वर महादेव का मंदिर है. यह मंदिर गुजरात राज्य की राजधानी गांधी नगर से लगभग 175 किलोमीटर की दूरी पर जम्बूसर के कवि कंबोई गांव में स्थित है. ये मंदिर 150 साल पुराना है और अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है. इस मंदिर को पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने बनवाया था. इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य यही है की यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए दिन में केवल दो ही बार खुलते हैं. है. हाइटाइड के दौरान यह मंदिर हर दिन पानी में डूब जाता है. जिस दौरान मंदिर का एक भी हिस्सा दिखाई नहीं देता है. पानी हटने के बाद फिर से इस मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है. इसी कारण यह मंदिर सबसे अनोखा मंदिर है. दिन में और शाम के समय पानी का स्तर बढ़ने से ये मंदिर पूरी तरीके से पानी में समा जाता है. लोग इसे भगवान शिव का अभिषेक मानते हैं.
असीरगढ़ शिव मंदिर असीरगढ़, मध्य प्रदेश
इस असीरगढ़ किले के अंदर मौजूद मंदिर एवं शिवलिंग का निर्माण महाभारत काल में किया गया है. ऐसा माना जाता है यह मंदिर मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर असीरगढ़ किले में स्थित है. कहा जाता है कि इस मंदिर की सबसे पहले पूजा अश्वधामा करते हैं. अश्वतामा पांडवों एवं कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे जिन्हें भगवान श्री कृष्ण युगों युगों तक भटकने का श्राप दिए थे. कहा जाता है कि इस मंदिर के शिवलिंग पर मंदिर का दरवाजा खोलते ही पहले से ही रोली और ताज़े फूल छड़े हुए मिलते हैं. जो खुद अश्वतामा आकर अर्पित करते हैं. यहाँ के स्थानीय लोगों में से कुछ का यह भी कहना है कि अश्वतामा ने उनसे अपने घाव पर लगाने के लिए हल्दी और तेल भी मांगा है. इस तरह लोगों का कहना है कि वह भटकती आत्मा अश्वतामा की है और जो भी अश्वतामा को देख लेता है उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau