People of Which Religion Commit Suicide Most: हाल ही में मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा की आत्महत्या की खबर ने सभी को चौंका दिया है. उन्होंने बांद्रा स्थित अपने घर की छठी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली. इस घटना ने आत्महत्याओं के कारणों और प्रवृत्तियों पर चर्चा को फिर से जीवंत कर दिया है. इस बीच आइए जानते हैं कि भारत में किस धर्म और जाति के लोग आत्महत्या के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं.
धर्म के आधार पर आत्महत्या के आंकड़े
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में आत्महत्याओं के मामलों में धर्म के आधार पर भी बड़ा अंतर है. एक हिन्दू के मुकाबले किसी ईसाई के आत्महत्या करने की संभावना डेढ़ गुना अधिक होती है. एक डेटा के मुताबिक, ईसाइयों में आत्महत्या की दर 17.4% है, जबकि हिन्दुओं में यह दर 11.3%, मुस्लिमों में 7%, और सिखों में 4.1% है. आत्महत्या की राष्ट्रीय दर 10.6% है, जो प्रति एक लाख की जनसंख्या पर किए गए आत्महत्याओं की संख्या पर आधारित है. यह देखा गया है कि ईसाइयों में आत्महत्या की दर उनकी जनसंख्या के अनुपात में नहीं है. 2011 की जनगणना के अनुसार, देश की जनसंख्या में ईसाइयों का प्रतिशत केवल 2.3% है, लेकिन आत्महत्याओं में उनका प्रतिशत 3.7% है.
जाति के आधार पर आत्महत्या के आंकड़े
जाति के आधार पर आत्महत्याओं के आंकड़े भी चिंताजनक हैं. विभिन्न जातियों में आदिवासी और दलित समुदायों के लोग सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं. हालांकि, सरकार ने 2014 में पहली बार आत्महत्याओं का डाटा धर्म और जाति के आधार पर तैयार किया था, लेकिन 2015 में इसे सार्वजनिक नहीं किया गया.
आत्महत्या के कारण
आत्महत्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं. आर्थिक कठिनाइयां, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, सामाजिक और पारिवारिक दबाव, शिक्षा और करियर के मुद्दे, और स्वास्थ्य समस्याएं आमतौर पर इसके मुख्य कारण होते हैं. अक्सर लोग अपने जीवन में आने वाली परेशानियों का सामना न कर पाने पर आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा लेते हैं.
भारत में आत्महत्याओं के मामले धर्म और जाति के आधार पर भी बड़े अंतर को दर्शाते हैं. ये आंकड़े समाज के विभिन्न वर्गों में मौजूद मानसिक और सामाजिक समस्याओं की ओर संकेत करते हैं. इन समस्याओं के समाधान के लिए समाज और सरकार दोनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है. आत्महत्या एक गंभीर सामाजिक समस्या है और इसके लिए व्यापक जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन की जरूरत है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)