Goddess Lakshmi Story: हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन-संपत्ति और समृद्धि की देवी माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी लक्ष्मी का प्राकट्य समुद्र मंथन के दौरान हुआ. कहा जाता है कि इसके बाद ही देवी लक्ष्मी ने भगवान नारायण से विवाह किया. उनके जन्म की कथा बेहद रोचक है, कुछ लोग ये तो जानते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान उनका जन्म हुआ लेकिन ये घटना कैसे घटी ये माता लक्ष्मी के जन्म की अद्भुत और रहस्यमयी कथा से आप जान सकते हैं.
ऋषि दुर्वासा का श्राप
एक समय की बात है जब ऋषि दुर्वासा कैलाश पर्वत से भोलेनाथ के दर्शन करके लौट रहे थे. भगवान शिव ने उन्हें एक दिव्य माला उपहार स्वरूप दी थी. लौटते समय ऋषि दुर्वासा का सामना देवों के राजा इंद्र से हुआ. इंद्र ने माला को आदर से ग्रहण किया लेकिन उनके मन में गर्व था. उन्होंने माला को अपने हाथी ऐरावत के सिर पर रख दिया. ऐरावत ने उस माला को तोड़कर फेंक दिया. ऋषि दुर्वासा इस अपमान से क्रोधित हो गए और उन्होंने इंद्र को श्राप दे दिया कि उनकी समृद्धि उनसे छीन ली जाएगी और देवी लक्ष्मी उनसे दूर चली जाएंगी.
देवताओं की दुर्बलता और असुरों का आक्रमण
ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण देवी लक्ष्मी अदृश्य हो गईं जिससे देवताओं की शक्तियां क्षीण हो गईं. इसका लाभ उठाकर असुरों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया. देवताओं ने अपनी असहाय स्थिति में ब्रह्मा जी के पास जाकर अपनी समस्या बताई. ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि जब तक वे देवी लक्ष्मी को पुनः प्राप्त नहीं कर लेते उनकी शक्तियां वापस नहीं आएंगी.
समुद्र मंथन की योजना
ब्रह्मा जी ने देवताओं से कहा कि वे समुद्र मंथन करें, जिससे अमृत प्राप्त होगा और वे अमर हो जाएंगे. इसके लिए देवताओं और असुरों ने मिलकर मंथन करने का निर्णय लिया. मंदराचल पर्वत को मथानी के रूप में और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया. भगवान विष्णु ने मंदराचल पर्वत को समुद्र में डूबने से बचाने के लिए कच्छप अवतार लिया और पर्वत को अपने पीठ पर उठा लिया.
समुद्र मंथन और देवी लक्ष्मी का प्रकट होना
समुद्र मंथन के दौरान कई तरह के दिव्य पदार्थ प्रकट हुए, जिनमें चंद्रमा, कामधेनु, ऐरावत हाथी, और अंततः अमृत भी शामिल था. लेकिन इसी मंथन से देवी लक्ष्मी भी प्रकट हुईं. उनकी सुंदरता अद्वितीय थी और वे अपनी दिव्य आभा से सभी को मोहित कर रही थीं. देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को देखा और उनके दिव्य रूप से प्रभावित होकर उन्हें अपना पति चुन लिया. उन्होंने भगवान विष्णु को अपने हाथों से माला पहनाई और उनके साथ विवाह कर लिया.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)