Lord Rama: प्रभु राम, हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं और उन्हें आदित्य जनार्दन, रघुकुल श्रीराम, मर्यादा पुरुषोत्तम, रघुकुलेश्वर, राघव आदि नामों से जाना जाता है. प्रभु राम की जीवनकथा हिन्दू धर्म के महाकाव्य "रामायण" में विस्तार से वर्णित है. राम भगवान को विष्णु भगवान का सातवें अवतार माना जाता है. उनका जन्म अयोध्या नगरी में राजा दशरथ और रानी कौसल्या के पुत्र के रूप में हुआ था. इसके लिए उन्हें "रघुकुलेश्वर" कहा जाता है. राम जी का बचपन और बाल्यकाण्ड में उनकी लीलाएं, माता कौसल्या द्वारा उनकी पूजा, और गुरुकुल में अध्ययन का वर्णन किया गया है.
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प्रभु राम का माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास जाना, जहां उनका संघर्ष लंका के राजा रावण के साथ हुआ. अयोध्या में पुनर्वापसी और राम का राजा बनाया जाना, जिसका सम्पूर्ण विवरण उत्तरकाण्ड में मिलता है. राम ने अपने पिता राजा दशरथ की इच्छा के अनुसार बनवास पूर्ण करने के बाद अयोध्या में फिर से प्रवेश किया और राज्य का संचालन किया. सीता हरण के बाद रावण द्वारा उनका अपहरण किया जाता है, जिसके बाद राम और लक्ष्मण सीता को ढूंढ़ने के लिए दक्षिण भारत की ओर निकलते हैं. रावण को मारने के बाद, सीता को लंका से वापस लाने के बाद, राम और सीता का अयोध्या में वापस प्रवेश होता है.
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राम ने अपने जीवन में सज्जनता, धर्म, और राजा का कर्तव्य पूर्ण किया और उनका चरित्र महाकाव्य "रामायण" के माध्यम से लोगों को एक आदर्श बनाया. प्रभु राम की कथा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक एवं आदर्श रूप में जानी जाती है, उन्हें मानवता के आदर्श श्रेष्ठ पुरुष में से एक माना जाता है. भगवान राम के जीवन में कई भक्त और श्रद्धालु थे, जो विभिन्न जातियों और धर्मों के थे, जिनमें से कुछ मुस्लिम भी थे. इनमें से कुछ मुस्लिम भक्तों की कहानियां हमें ऐतिहासिक ग्रंथों और लोककथाओं में मिलती हैं, जो रामायण के काल से चली आ रही हैं.
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बिल्किस बेगम: बिल्किस बेगम भगवान राम के एक श्रद्धालु भक्त थीं जो उनकी पूजा और भक्ति में लगी रहती थीं. उनका कहना है कि रामचंद्र जी के चरणों में उनका सुख-शांति मिलता था.
फैजान मियां: फैजान मियां भी एक मुस्लिम भक्त थे जो भगवान राम की भक्ति में लगे रहते थे. उनका कहना था कि राम एक ही ईश्वर हैं जिनकी पूजा करना हम सभी का कर्तव्य है.
सबरा बेगम: सबरा बेगम रामभक्त थीं जो आपके नाम से प्रसिद्ध थीं. उनका कहना था कि भगवान राम ने सभी जीवों को एक समान दृष्टिकोण से देखा और उनका प्रेम बहुत महत्वपूर्ण है.
इन मुस्लिम भक्तों की भक्ति और श्रद्धा ने दिखाया कि भगवान की प्रेम भावना और भक्ति में जाति और धर्म की कोई परिसीमा नहीं होती. रामायण में इनके उन्हें समर्पित कुछ भक्ति गाथाएँ हैं, जो उनकी श्रद्धालुता को दर्शाती हैं.
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Source : News Nation Bureau