Ram Mandir : शायद नहीं जानते होंगे आप, भगवान राम और उनके भाईयों की पौराणिक कथा

Ram Mandir : राम को एक महान और सत्यवादी राजा के रूप में पूजा जाता है. राम का पतिव्रता और धर्मात्मा होना उनके लिए प्रमुख गुण थे.

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Ravi Prashant
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Mythological story of Lord Ram and his brothers

भगवान राम और उनके भाईयों की पौराणिक कथा( Photo Credit : Social Media)

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Ram Mandir : भगवान राम और उनके भाईयों की कथा महाभारत महाकाव्य के एक अंश, रामायण, में मिलती है. रामायण में राम और उनके तीन भाई—लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न की कहानी है, जो भारतीय साहित्य में प्रमुख धार्मिक एवं आदर्श पुरुषों में गिनी जाती है. राम, आयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र थे और उन्हें एक महान और धर्मात्मा राजा के रूप में जाना जाता है. उनका पूरा नाम प्रियदर्शन था और वे अपने प्रेम, धर्म, और साहस के लिए प्रसिद्ध थे. राम का विवाह सीता से हुआ था, और उनके साथ वनवास के दौरान वह अनेक कठिनाईयों का सामना करते हैं, जिनमें लंका के राजा रावण का वध भी शामिल है. 

राम को एक महान और सत्यवादी राजा के रूप में पूजा जाता है. राम का पतिव्रता और धर्मात्मा होना उनके लिए प्रमुख गुण थे. एक दिन, राजा दशरथ ने अपने कुलगुरु वशिष्ठ की सलाह पर राम को अपने पुत्ररूप में राजा बनाने का निर्णय किया. होनहार, श्रीमान, और धर्मात्मा राम का वध राक्षस राजा रावण द्वारा किया जाता है, जिससे सीता हरण होता है. राम लक्ष्मण और हनुमान के सहारे से लंका का नाश करते हैं और सीता को मुक्ति दिलाते हैं.

राम के भाईयों की कथा:-

लक्ष्मण(Laxman) : राम के छोटे भाई और सच्चे सहायक लक्ष्मण का पूरा नाम लक्ष्मण कुमार है. उन्होंने राम के साथ अयोध्या को छोड़कर वनवास में जाने का निर्णय लिया और सीता और हनुमान के साथ मिलकर लंका के विनाश में सहायक भूमिका निभाई. उन्हें वीरता, अनुष्ठान, और बड़ी भाईभावना के लिए प्रसिद्ध किया जाता है. वह राम के साथ वनवास का समर्थन करने के लिए सब कुछ त्यागते हैं और सीता के साथ मिलकर राम की सेवा करते हैं. 

उनका सर्वप्रथम रात्रि में सर्वदेवी सीता की सेवा करने का दृढ़ संकल्प और पतिव्रता भाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं. राम और लक्ष्मण का यह परम बंधन हमें भ्रांतिकारक शक्तियों से लड़ने, परिश्रम करने, और धर्म के मार्ग पर चलने की महत्वपूर्ण शिक्षाएं देता है. इनका समर्थन और साथीपन सीखने के लिए राम और लक्ष्मण हमारे आदर्श हैं.

भरत(Bharat) : राम के तीसरे भाई भरत थे, जो अपने प्यारे भाई राम के लिए अपने पिताजी राजा दशरथ के अंतिम वचन का पालन करते हैं और अयोध्या का परिचारक बनते हैं. राम के छोटे भाई भरत रामायण महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण चरित्र है. भरत राजा दशरथ के और कैकेयी के पुत्र थे. उनका पूरा नाम राजा भरत था और वे आयोध्या के राजा दशरथ के राजगद्दी के योग्य समझे जाते थे.

भरत ने राम के प्रति अपना अद्वितीय प्रेम साबित किया. उन्होंने राम को अपने पिताजी राजा दशरथ की किराएदारी छोड़कर राजा बनने का पूरा अधिकार दिया. भरत ने यह मानते हुए कि राम अपने विधाता का परिपक्व और समर्पित पुत्र है, उन्हें नागरिकों के अच्छे राजा की आवश्यकता है, स्वयं राजा बनने का विचार किया. 

भरत ने जब जाना कि उनके पिताजी राजा दशरथ की मृत्यु के बाद राम वनवास गए हैं और उन्हें राजा बनने का पहला अधिकार है, तो उन्होंने तत्काल अयोध्या का संबालन करने का निर्णय लिया. भरत ने चाहा कि राजगद्दी राम की ही रहे, और उन्होंने राम के पैरों में पुरुषार्थ और विशेष श्रद्धाभाव से उन्हें आयोध्या लौटाने के लिए प्रार्थना की. भरत की पत्नी का नाम मंदवी था, और उनका भी राम के प्रति बहुत बड़ा श्रद्धाभाव था.

वे रामायण महाकाव्य में एक सजीव आदर्श पतिव्रता के रूप में प्रसिद्ध हैं. भरत ने अपनी पत्नी मंदवी के साथ सुख-शान्ति में रहते हुए राम के आज्ञानुसार राजा की पदवी का आत्मनिर्भरता से भार संभाला और राम के अभ्यागत अवसर पर उन्हें राजा बनाने के लिए पूरा किया.भरत का यह नीतिपरक कृत्य और पतिव्रता का परिचय हमें आदर्श बनाता है.

शत्रुघ्न(Shatrughan) : राम के छोटे भाई शत्रुघ्न रामायण महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण चरित्र है. शत्रुघ्न राजा दशरथ और कैकेयी के चौथे और छोटे पुत्र थे, और उनका पूरा नाम शत्रुघ्न कुमार था. शत्रुघ्न का जन्म हुआ था जब राम, लक्ष्मण, और भरत वनवास में थे. इसलिए, उनका बचपन अपने माता-पिता के साथ नहीं बीता था, बल्कि वे गुरुकुल में बच्चों के साथ रहकर अपनी शिक्षा पूरी करते थे. शत्रुघ्न की पत्नी का नाम उर्मिला था, जो लक्ष्मण की बहन थी. शत्रुघ्न और उर्मिला का विवाह लक्ष्मण और उर्मिला के स्वयंवर में हुआ था. शत्रुघ्न ने रामायण काल में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. 

उन्होंने राम के परमार्थ के लिए भरत के साथ मिलकर अयोध्या का प्रशांत प्रबंधन किया और वहां राजा बने रहते हुए धर्म और न्याय का पालन किया. शत्रुघ्न ने भी लंका के राजा रावण के पुत्र इंद्रजित के साथ वीर युद्ध किया और उसे मारकर राम की सेना को समर्थन किया. शत्रुघ्न ने भी भरत के साथ मिलकर अयोध्या का प्रबंधन किया और भरत की सहायता करते हुए वहां धर्म और न्याय का पालन किया. रामायण में शत्रुघ्न का पात्र वीरता, धर्म और भाईचारे की महत्वपूर्ण शिक्षाएं सिखाता हैं, और उनका योगदान राम के राज्य को स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 

रामायण में राम और उनके भाईयों की कथा ने धर्म, कर्तव्य, और ब्रातृभाव की महत्वपूर्ण बातें सिखाई हैं, जो आज भी हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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