Lord Shiva Mythological Story: भगवान शिव की भक्ति में इतनी शक्ति है कि उन पर विश्वास करने वाले की कभी हार नहीं होती. अगर आप ये नहीं जानते तो ये कहानी आपको ये मानने के लिए प्रेरित जरूर करेगी. भगवान शिव और उनके परम भक्त रामेश्वर की ऐसी कथा जिसमें उसकी अपार भक्ति ने शिव जी का ऐसा दिल जीता कि उसे मुर्ख बनाने वालों को भगवान शिव ने खुद सबक भी सिखाया. एक बार की बात है गांव में रामेश्वर नामक एक ब्राह्मण अपनी मां के साथ रहता था. वह दिन-रात भगवान शिव की भक्ति किया करता था. रामेश्वर का नियम था रोजाना सुबह जल्दी उठकर घर के सारे काम निपटाना और फिर भगवान शिव के भोग के लिए खीर का प्रसाद बनाना. रामेश्वर को विश्वास था कि भगवान शिव उसके द्वारा खिलाई गई खीर को रोजाना ही खाते हैं. वो दिन रात भगवान शिव की भक्ति किया करता था. शिव नाम का सदैव उसके मुख पर रहता था. ओम नमः शिवाय. ओम नमः शिवाय. ओम नमः शिवाय.
रामेश्वर बेटा आज भी तुने मुझे नहीं उठाया खुद ही उठकर घर के सारे काम कर लिए, खीर भी भोग लगा दी. तुने तो?
मैंने सोचा. फटाफट से काम करके खीर बना लेता हूं. शिवजी भी खीर के इंतजार में बैठे होंगे. ये लो भोग के खीर खाकर बताओ कैसी बनी है?
रामेश्वर बेटा इस खीर को तू बचपन से शिवजी को खिलाता रहा है. जब तेरे बापू जिंदा थे तब वो प्रसाद की खीर खिलाते थे और उनके जाने के बाद तुने ये नियम बना लिया. तेरी खीर बहुत ही स्वादिष्ट बनती है बेटे और मुझे पता है भगवान शिव भी तेरे हाथों की खीर खाने के इंतजार में रहते होंगे.
तभी तो मैं सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले खीर बनाता हूं ताकि भगवान शिव को भोग लगा सकूं.
रामेश्वर का नियम था रोजाना सुबह जल्दी उठकर घर के सारे काम निपटाना और फिर भगवान शिव के भोग के लिए खीर का प्रसाद बनाना. ये कार्य पहले उसके पिता करते थे और पिता के जाने के बाद शिव जी की सेवा और खीर भोग की पूरी जिम्मेदारी रामेश्वर ने उठा ली. रामेश्वर को विश्वास था की भगवान शिव उसके द्वारा खिलाई गई खीर को रोजाना ही खाते हैं. इस विश्वास पर वो रोजाना खीर का भोग लगाता था. अपने भक्त के द्वारा भोग लगाई गई खीर को कैलाश पर्वत पर विराजमान भगवान शिव बहुत चाव से खाते थे.
माता पार्वती और समस्त शिवगढ़
एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा- स्वामी क्या बात है? आपको तो आनंद ही आनंद है आपके भक्त आपको प्रेम से इतने स्वादिष्ट व्यंजन खिलाते है और आपका भक्त रामेश्वर तो नियम के अनुसार आपको खीर का भोग लगाता है. लाइए थोड़ी सी खीर मुझे भी दे दीजिये. रामेश्वर के हाथों की खीर बहुत ही स्वादिष्ट होती है.
हां देवी पार्वती रामेश्वर इतने स्वादिष्ट खीर का भोग लगाता है. की मन प्रसन्न हो जाता है.
तभी नंदी और समस्त शिवगण वहां जाते है.
महादेव ये लीजिए हम भांग और धतूरा ले आए है नंदी अभी तो हम स्वादिष्ट खीर का आनंद ले रहे है. ऐसा करो भान और धतूरे को वहाँ छोटे पर्वत परक दो. हम कुछ समय के बाद उसे ग्रहण करेंगे. अरे नंदी महादेव तो हमारी ओर देख तक नहीं रहे, उनका सारा ध्यान तो रामेश्वर की बनाई हुई खीर पर है, ऐसे कब तक चलेगा? नंदी हां, मैं भी यही देख रहा हूं. इतने प्रेम से हम भांग और धतूरा पीस कर लाये और महादेव ने अमीर से रखने के लिए बोल दिया. अरे नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है. महादेव ने बोला है की हम उसे वहां रखें वो कुछ देर बाद उसे ग्रहण करेंगे.
महादेव रोजाना रामेश्वर की भोग लगाई हुई खीर को बहुत चाव से खाते हैं. नंदी मैं तो कई बार सोचता हूँ की रामेश्वर के खीर में ऐसा क्या है की भोलेनाथ सबसे पहले उसकी भोग लगाई खीर को ही खाते हैं और फिर और किसी तरफ उनका ध्यान ही नहीं जाता. तभी तो हम भांग धतूरा लेकर आए और उन्होंने बिना देखे ही इसे रखने के लिए बोल दिया. कह तो तुम ठीक रहे हो भैरव, महादेव को भांग धतूरा इतना प्रिय है पर रामेश्वर की खीर से ज्यादा उन्हें समय कुछ भी प्रिय नहीं लग रहा तो क्या किया जाएनंदी कि महादेव का ध्यान अपने भक्त रामेश्वर से हटकर हमारी ओर आ जाए. तब नंदी कहते हैं कि इसका भी एक रास्ता है
शिवगणों की साजिश का शिकार हुआ रामेश्वर
नन्दी ने सभी गणों के कान में कुछ कहा, उसके पश्चात सभी गण पृथ्वी लोक पर आ गए और सब ने ब्राह्मण रूप ले लिया और सब लोग रामेश्वर के पास पहुंचे. रामेश्वर शिव जी को खीर का भोग लगाने के लिए बाज़ार से सामान खरीद रहा था. ब्राह्मण वेश में नंदी ने रामेश्वर से कहा.
रामेश्वर तुम हमें नहीं जानते और हम तुम्हें बहुत अच्छे से जानते हैं. तुम भगवान शिव के भक्त हो.
रोजाना उन्हें खीर का भोग लगाते हो. हां ब्राह्मणदेव, आप तो सब कुछ जानते हैं. हां, रामेश्वर, हम सब जानते हैं. इसीलिए तो हम तुम्हारे पास आए हैं. हमें पता है कि तुम महादेव के परम भक्त हो, पर तुम्हें पता है महादेव अब रोजाना खीर खाकर उब गए हैं इसलिए अब तुम कुछ दिनों के लिए खीर का भोग रोक दो, तुम्हें काम क्यों नहीं करते? तुम महादेव को सप्ताह में 1 दिन खीर का भोग लगाया करो, जिससे महादेव को और अधिक स्वाद आएगा. अब महादेव को इतने सारे भक्त पूछते हैं, महादेव भी तो इतने सारे भक्तों के द्वारा दिए भोग को ग्रहण करते हैं. उनका पेट बहुत भर जाता है. अगर तुम उनको सप्ताह में 1 दिन खीर का भोग लगाओगे तो उन्हें तुम्हारी खीर का इंतजार रहेगा. और वो और अधिक आनंद से खीर खाएंगे क्यों हम सही कह रहे हैं ना? ये तो आप ठीक कह रहे हैं ब्राह्मण देव इस विषय में तो मैंने कभी सोचा ही नहीं. अब मैं एक काम करता हूँ. मैं सप्ताह में 1 दिन ही भगवान को खीर का भोग लगाया करूँगा ताकि वो और भी भक्तों का प्रसाद ग्रहण कर सकें. और फिर उन्हें मेरी खीर का बेसब्री से इंतजार रहे.
भगवान शिव हुए क्रोधित
भोला भाला रामेश्वर शिवगणों की बातों में आ गया शिवगण खुशी, खुशी, कैलाश वापस लौट आए. अब शिव जो रोजाना रामेश्वर की खीर का इंतजार करने लगे की कब रामेश्वर उन्हें भोग लगाए और कब वो खीर का भोग खाये पर कुछ दिनों तक रामेश्वर ने खीर का भोग बनाया ही नहीं तो शिव जी को खीर कहां से मिलती? अब सप्ताह में 1 दिन रामेश्वर ने कीर का भोग लगा दिया. तो शिव जी ने खीर खा ली फिर उसके बाद कुछ दिन और खीर नहीं मिली तो भगवान शिव सोच में पड़ गए. उन्होंने अपने नेत्र बंद किया और उन्हें सारी सच्चाई पता लग गई और भगवान शिव को गुस्सा आ गया. शिव जी को गुस्से में आया देख सभी कर्ण उनके समक्ष हाथ जोड़ कर खड़े हो गए.
नंदी, श्रृंगी, वीरभद्र, भैरव तुम सभी गण जानते भी हो कि तुमने क्या किया है? मेरे भक्त रामेश्वर के द्वारा भोग में अर्पित की गई खीर मुझे कितनी प्रिय है और तुमने उसे खीर का भोग रोजाना लगाने के लिए मना कर दिया? महादेव हमें क्षमा कर दीजिए, हमसे भूल हो गई महादेव जब हम आपको खीर खाता हुआ देखते थे तो हम यही सोचते थे की आप हमारी और ध्यान नहीं दे रहे हैं. अच्छा तो ये कारण है. सब ये नहीं जानते की मेरा प्रेम अपने सभी भक्तों पर एक समान है. मैं भला तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ? तुम तो मेरे हृदय में वास करते हो, तुम सब तो मेरी ही शक्तियां द्वारा उत्पन्न हुए हो. संसार में मेरा प्रत्येक भक्त मुझे एक समान प्रिय है और प्रत्येक भक्त के हृदय में मैं ही विद्यमान हूं. इसलिए मेरा प्रेम कभी भी कम या ज्यादा नहीं हो सकता. माता पिता के लिए तो उनके सभी बच्चों में प्रेम एक समान होता है, फिर तुम ये भूल कैसे सकते हो?
भगवान शिव के भक्त के आगे झुक गए शिवगण
भगवान शिव की बातें सुनकर सभी शिवगण समझ गए कि उन्होंने कितनी बड़ी भूल कर दी. सचमुच महादेव का प्रेम तो अपने सभी भक्तों के लिए एक समान रहता है. इसके बाद सभी शिवगण फिर से एक बार रामेश्वर के पास गए.
रामेश्वर हमें भगवान शिव का संदेश आया है, वो कह रहे थे कि तुम्हारी खीर इतनी स्वादिष्ट होती है कि वो सप्ताह भर की प्रतीक्षा नहीं कर सकते. सप्ताह में 1 दिन भोग से उनका मन ही नहीं भरता. इसलिए उनकी आज्ञा है कि तुम रोजाना ही उन्हें खीर का भोग लगाया करो. आप सच कह रहे हैं ब्राह्मण देव भगवान शंकर को मेरे हाथों की बनी खीर इतनी प्रिय है, ठीक है, फिर मैं रोजाना उन्हें खीर का भोग लगाऊंगा.
यह सुनकर रामेश्वर बहुत खुश हुआ. अब एक बार फिर रामेश्वर रोजाना खीर बनाकर भगवान शिव को भोग लगाने लगा. अब तो समस्त शिवगण भी भगवान शिव के साथ रामेश्वर द्वारा भोग लगी. प्रसाद की खीर का आनंद लेते और खूब भरपेट खीर को खाते. भगवान शिव और देवी पार्वती दोनों सभी गणों को इस प्रकार खीर खाता देख मंद मंद मुस्कुराने लगे. भगवान शिव ने अपने परम भक्त रामेश्वर को सभी सुख सुविधाओं से पूर्ण रखा. उसके जीवन में कभी भी कोई कठिनाई नहीं आई. रामेश्वर का विवाह एक बहुत ही सुशील कन्या के साथ हुआ. उसके घर में दो बच्चों का जन्म हुआ. अपने परिवार के साथ सुखी जीवन व्यतीत करके रामेश्वर अंत में मोक्ष को प्राप्त हुआ.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau