Mythological Story of Mata Parvati: भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह की कथा युगो युगांतरों से कही जा रही है. माता ने कैसे कठोर तप से भगवान शिव को पति स्वरुप में पाया लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता पार्वती से एक बाद भगवान शिव इस तरह नाराज़ हो गए कि उन्होंने क्रोधित होकर उनका ऐसा श्राप दे दिया कि वो उनके साथ ही नहीं रह पायी. ये श्राप क्या था, भगवान शिव को माता पार्वती पर गुस्सा क्यों आया और फिर माता पार्वती के साथ श्राप के बाद क्या हुआ आइए ये पौराणिक कथा जानते हैं.
माता पार्वती भगवान शिव से अथा प्रेम करती थीं, वो उनकी सारी बातें सुनती, उसे मानती और उनका पालन भी करती. लेकिन एक दिन भगवान शिव माता पार्वती को ब्रह्मज्ञान दे रहे थे. वो उन्हें सृष्टि की कथा सुना रहे थे. कथा सुनते सुनते माता पार्वती किसी दूसरी दुनिया में खो गई.
भगवान शिव को जैसे ही इस बात का एहसास हुआ उन्होंने कथा रोक दी और माता पार्वती से पूछा कि क्या आप मेरी कथा सुन रही हैं. माता पार्वती दूसरी दुनिया में खोई हुई थी उन्होंने भगवान शिव के सवाल का जवाब नहीं दिया.
कुछ समय बाद जब माता पार्वती अपनी दुनिया में वापस लौटी तब भगवान शिव ने माता पार्वती पर क्रोधित होते हुए कहा कि आपने ब्रह्म ज्ञान की अवहेलना की है. जब आप किसी से शिक्षा या कुछ ज्ञान लेते हैं तो आपका ध्यान भंग नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो ये दंडनीय है.
भगवान शिव माता पार्वती पर इतना क्रोधित हुए कि इस बात पर उन्होंने पार्वती जी को श्राप दे दिया कि आपका जन्म किसी मछुआरे परिवार में होगा.
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श्राप से दुखी माता पार्वती एक ऐसे गांव में पहुंच गई जहां पर मछुआरे रहते थे. इस गांव का एक मुखिया था जिसकी कोई संतान नहीं थी. एक दिन वो मछली पकड़ने जा रहा था तब रास्ते में एक पेड़ के नीचे उसे एक कन्या बैठी हुई मिली (ये माता पार्वती ही थीं). बच्ची को अकेला देख मछुआरा हैरान हो गया और छोटी की कन्या के साथ कोई नहीं था. मछुआरे ने प्रभु कृपा समझकर उस बच्ची को अपने पास रख लिया और अपने घर ले गया. तब से माता पार्वती की उस घर में देखरेख होने लगी और उन्हें अपना एक जन्म मछुआरे के घर में काटना पड़ा.
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