Mythology Behind Panch Kedar: पंच केदार को मोक्षदायिनी माना जाता है, और ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरों की यात्रा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष प्राप्त होता है. पंच केदार भगवान शिव के पांच पवित्र मंदिरों का समूह है जो उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल हिमालय में स्थित हैं. इन मंदिरों को क्रमशः केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर के नाम से जाना जाता है. पंच केदार का इतिहास क्या है आइए जानते हैं
पंच केदार की पौराणिक कथा
महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था. युधिष्ठिर अपने चार भाइयों के साथ श्री कृष्ण से मिलने का है. बधाई हो धर्मराज आज अधर्म पे धर्म की जीत हुई. माधव आपकी सहायता के बिना हमारा विजय असंभव था. मेरा काम तो सिर्फ राह दिखाना था उस राह पर चलना तो आप सब पे निर्भर करता है. पार्थ पाँचो पांडव श्री कृष्ण की बात सुन रहे थे, वो बड़े दुखी लग रहे थे. आप सब इतने चिंतित क्यों है? क्या हुआ देवकीनंदन? हमने अपने ही भाइयों की हत्या की है. हम सभी को इस बात का खेत है. हाँ माधव अब आप ही कोई उपाय बताइए, हम इस भ्रात्र हत्या के पाप से मुक्ति कैसे पाएं? तो इस बात से चिंतित है आप आपको इसके लिए महादेव के पास जाना होगा. एक महादेव ही आपको भ्रात्र हत्या के पाप से मुक्ति दिला सकते है. किंतु. किंतु क्या माधव श्री कृष्ण चिंतित हो गए? महादेव आप पांचों से अत्यंतृष्ट हैं. माधव आप चिंतित ना हो, वो चाहे कितने भी रुष्ट हो, हम पाँचों उनके दर्शन करके ही हस्तिनापुर वापस लौटेंगे? हाँ माधव, अब हमें आज्ञा दीजिए, हम विश्वनाथ के दर्शन हेतु काशी प्रस्थान करते हैं. युधिष्ठिर श्रीकृष्ण के सामने हाथ जोड़तें हैं. कल्याण हो, पांचो भाई काशी जाने के लिए निकल पड़ते हैं और कुछ दिनों के बाद वो काशी पहुँच जाते हैं. काशी पहुंचने के बाद उन्हें वहां शिवजी नहीं मिले. पांचो भाई बहुत ही चिंतित हो गए.
यहां तो शिवाजी नहीं हैं अर्जुन, महादेव हमसे अत्यंत रुष्ट हैं इसीलिए वो हमें दर्शन नहीं दे रहे. अब हम क्या करें? हे माधव अब आप ही हैं जो हमें रास्ता दिखा सकते है. तभी श्री कृष्ण वहां प्रकट होते है. पार्थ मैंने पहले भी कहा था की महादेव आपसे अत्यंत रूष्ट हैं और इसलिए वो आपको प्रत्यक्षदर्शन नहीं देना चाहते. तो हमें इस भ्रात्र हत्या के पाप से मुक्ति कैसे मिलेंगे? मुक्ति तो आप सबको केवल महादेव ही दिला सकते हैं और क्योंकि वो आपको प्रत्यक्षदर्शन नहीं देना चाहते, वो काशी से अंतर ध्यान होकर अपने प्रिय स्थल केदार में गए हैं. अगर आप को उनके प्रत्यक्षदर्शन करने हैं तो आपको केदार क्षेत्र में जाना होगा.
उचित है, उनके दर्शन करने के लिए हमें कितना भी दूर क्यों ना जाना पड़े. हम जाएंगे और मुक्ति पाकर ही वापस लौटेंगे. कल्याण हो!! श्री कृष्ण वहां से अदृश्य हो जाते हैं. पांचों भाई अब केदार क्षेत्र की और प्रस्थान करते हैं. थोड़े दिनों के पश्चात वे केदार पहुँच जाते हैं. शिव जी पांडवों को वहाँ देखते हैं और उन्हें देखते ही वह क्रोधित हो जाते हैं. ये सब यहाँ भी पहुँच गए किन्तु मैं इन्हें दर्शन देना नहीं चाहता, मैं बैल का रूप धारण करके उनकाय और बैल के छुट में शामिल हो जाता हूँ. वो मुझे कभी भी ढूंढ नहीं पाएंगे. शिव जी बैल का रूप हरण करके अन्य गाय और बैल की छूट में शामिल हो गए. मांडव शिव जी को ढूंढ रहे थे. युधिष्ठिर यहां तो कहीं पर भी महादेव नहीं दिख रहे, श्री कृष्ण ने तो कहा था वो यही है हॉर्चुन इतने में भीम की नजर पशुओं के झुंड पे पड़ती है. उसमें से एक बैल बाकी बैलों से एकदम अलग दिखता है. उसको देख कर भीम को बहुत ही आश्चर्य होता है. भ्राता युधिष्ठिर वो बैल को देखिए, वो बैल आपको बाकी अन्य बेलों से भिन्न नहीं लगता. हां भीम वो भिन्न तो है किन्तु. भीम थोड़े मुस्कुराते हैं. हां तो ये बात है. क्या हुआ भैया? अर्जुन, अब देखो मैं क्या करता हूं.
भीम अपना विशाल रूप धारण करते हैं और अपने दोनों पैर पहाड़ों के बीच फैला देते हैं. मुझे ज्ञात हो गया है कि मेरे भोलेनाथ ने बैल का रूप धारण किया है. हमें भ्रमित करने के लिए अब अन्य सारे पशु मेरे दो पैरों के बीच में से चले जाएंगे. लेकिन, महादेव नहीं जाएंगे और हुआ भी वैसा ही. बाकी सारे जानवर भीम के दो पैरों के बीच से होकर निकल गए. सिर्फ एक बैल को छोड़कर ये देखकर बाकी चारों पांडवों ने भी शिव जी को पहचान लिया. अब शिव जी बैल रूप में वहां धरती में अंतर ध्यान होने लगे. भीम ने तुरंत ही बल से बेल की पीठ का त्रिकोणात्मक भाग पकड़ लिया.
शिव जी बोले, अब तो मुझे इन पांडवों के समक्ष प्रकट होना ही पड़ेगा. शिव जी अपने वास्तविक रूप में आते हैं और भीम भी पांचों पांडव शिव जी के समक्ष नतमस्तक खड़े रहते हैं. मैं आपके भक्ति और दृढ़ निश्चय को देखकर प्रसन्न हुआ, मैं तुम पाँचों को भ्रात्र हत्या के पाप से मुक्त करता हूं. आपको कोटि-कोटि वंदन महादेव.
आपके प्रत्यक्षदर्शन पाकर और भाई की हत्या के पाप से मुक्ति पाकर हम पांडव धन्य हुए. तभी श्री कृष्ण वहां प्रकट होते हैं महादेव भूमि में अंतर् ध्यान होते समय आपका पीठ का भाग यहीं पे स्थापित हो गया इसलिए युगो युगो तक आप यहां केदारनाथ के रूप में पूजे जाएंगे. आपके धर से ऊपर का भाग काठमांडू में प्रकट हुआ इसलिए आप वहां पे पशुपति नाथ के रूप में पूजे जाएंगे. इसी तरह जहां पे आपकी भुजाएं प्रकट हुई हैं वहां आप तुंगनाथ के रूप में, जहां मुख प्रकट हुआ, वहां रुद्रनाथ के रूप में, जहां पर आपकी जेठा प्रकट हुई, वहां कल्पेश्वर के रूप में और नाभि जहां प्रकट हुई, वहां आप मदमहेश्वर के रूप में पूजे जाएंगे. इस वजह से आज भी इन चारों स्थानों के सहित श्री केदारनाथ को पंच केदार भी कहा जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau