Nag Panchami 2022 Puja Samagri and Vidhi: इस साल सावन माह की शुरुआत 14 जुलाई से हो रही है. सावन माह को श्रावण मास भी कहते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन के महीने में कई व्रत और तत्योहार पड़ते हैं. इन्हीं में से एक है नाग पंचमी. प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है. ये दिन पूर्ण रूप से नाग देवता को समर्पित है. मान्यता है नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं. पौराणिक काल से ही सांपों को देवताओं की तरह पूजा जाता है. ऐसी मान्यता है कि नाग की पूजा करने से सांपों के डसने का भय समाप्त हो जाता है. भगवान भोलेनाथ के गले में भी नाग देवता लिपटे रहते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और कई अन्य प्रकार के भी शुभ फल प्राप्त होते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं नाग पंचमी की पूजा सामग्री और विधि के बारे में.
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नाग पंचमी 2022 पूजा सामग्री (Nag Panchami 2022 Puja Samagri)
- नाग देवता की प्रतिमा या फोटो
- गाय का कच्चा दूध, पंच फल, पंच मेवा, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, पंच मिष्ठान्न, पंच रस, गंगा जल, ईख (गन्ने) का रस
- रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, इत्र, गंध रोली, मौली, जनेऊ
- बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, अन्य सुगंधित पुष्प
- कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.
नाग पंचमी 2022 पूजा विधि (Nag Panchami 2022 Puja Vidhi)
- नाग पंचमी वाले दिन अनन्त, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है.
- अगर आप मंदिर जाकर पूजा नहीं कर पा रहें है तो आप घर पर भी नागपंचमी की पूजा कर सकते हैं.
- सबसे पहले पूजा के स्थान को अच्छे से साफ कर लें.
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- इसके बाद लकड़ी की चौकी पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाएं.
- इसके बाद गोबर, मिट्टी से बने नाग या फिर नाग देवता की मूर्ति यहां स्थापित करें.
- फिर नाग देवती की मूर्ति का जल और दूध से अभिषेक करें.
- ऐसे में इस दिन घर के दरवाजे पर सांप की आठ आकृति बनाना न भूलें.
- इन 8 आकृतियों पर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें.
- फिर स्थापित नाग देवता की मूर्ती या गोबर से बने नाग देवता और दरवाजे पर बनी आकृतियों दोनों जगह धान का लावा समर्पित करें.
- पूजा करने के बाद कच्चे दूध में घी, चीनी मिलाकर उसे भी नाग देवता को अर्पित करें.
- अंत में दोनों स्थानों पर मिष्ठान का भोग लगाकर नाग देवता की कथा अवश्य पढ़ें.
- घी का दीपक जलाकर आरती उतारें और किसी नाग को दूध अवश्य पिलाएं.