Naga Sadhu and Aghori Baba Difference: सनातन धर्म में कई सारे बाबा,साधु-संत आदि होते हैं और इन सभी बाबाओं की वेशभूषा, रहन-सहन लगभग अलग होती है. इन्हीं में से एक नागा साधु और अघोरी बाबा हैं. ये दोनों ही बाकी साधुओं जैसे नहीं दिखते. हालांकि जब भी नागा साधु और अघोरी बाबा का जिक्र आता है तो लोग इन दोनों के बीच में अंतर नहीं कर पाते. लेकिन आपको बता दें कि इन ही साधुओं में काफी अंतर है (Difference between Naga Sadhu and Aghori Baba) एक तरफ जहां नागा साधु कुंभ मेले के दौरान नजर आते हैं तो वहीं अघोरी तंत्र साधना में लीन होते हैं. तो चलिए इस लेख में आज हम आपको विस्तार इन दोनों साधुओं के बीच अंतर बताते हैं.
नागा साधु और अघोरी बाबा में अंतर (Difference between Naga Sadhu and Aghori Baba)
शिव जी की पूजा
नागा साधुओं और अघोरी बाबाओं को बहुत ही कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है. इन्हें साधु बनने के लिए लगभग 12 साल की कठीन तपस्याओं के साथ गुजरना पड़ता है. अघोरी बाबा श्मशान में तपस्या करते हैं. इन्हें सालों तक यहीं दिन बिताना पड़ता है. इन दोनों का तप करने का तरीके, रहन-सहन, ध्यान, भोजन अलग होता है. लेकिन हां ये जरूर है कि दोनों ही शिव जी की पूजा में लीन रहते हैं.
नागा साधु बनने की प्रक्रिया
एक तरफ जहां नागा साधु बनने के लिए अखाड़े में गुरु बनाना अनिवार्य होता है तो वहीं दूसरी ओर अघोरी बनने के लिए किसी भी गुरु की जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसा माना जाता है कि इनके गुरु स्वयं भगवान शिव हैं. बता दें कि ये भगवान शिव के पांचवां अवतार माने जाते हैं और ये श्मशान में कब्रिस्तान के पास बैठकर तप करते हैं.
दोनों हैं मांसाहारी, लेकिन अघोरी बाबा खाते हैं ये चीज
नागा साधु और अघोरी बाबा दोनों मांसाहारी होते हैं. लेकिन कुछ नागा साधु शाकाहारी भी होते हैं. हालांकि अघोरी बाबा मांस का भी सेवन करते हैं.
दोनों की वेशभूषा है अलग
नागा साधु और अघोरी बाबा, दोनों की ही वेशभूषा अलग होती है. नागा साधु नग्न रहते हैं तो वहीं अघोरी बाबा अपने शरीर के निचले हिस्से को ढकने के लिए जानवरों की खाल के कपड़े या कोई अन्य कपड़े का इस्तेमाल करते हैं. अघोरी अपने शरीर पर श्मशान की राख लगाते हैं और कपाल और आभूषण बनाने के लिए मानव शवों की हड्डियों का इस्तेमाल करते हैं.
ब्रह्मचर्य नियम का करते हैं पालन
नागा साधु और अघोरी बाबा पूरी तरीके से ब्रह्मचर्य नियम का पालन करते हैं. दोनों ही अपने परिवार का पूरी तरीके से त्याग कर देते हैं. अघोरी अच्छे-बुरे, प्रेम-घृणा, ईर्ष्या और क्रोध जैसे भाव दूर रहते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)