Naga Sadhu Facts: नागा साधु, हिन्दू धर्म में शैव संप्रदाय के सबसे कठोर और रहस्यमयी साधुओं में से एक माने जाते हैं. नग्न रहने, कठोर तपस्या करने और अलौकिक शक्तियों के धारक होने के लिए प्रसिद्ध, नागा साधु सदैव से लोगों के लिए आकर्षण और श्रद्धा का केंद्र रहे हैं. ऐसे में इस लेख के जरिए आज हम आपको नागा साधुओं से जुड़ी कुछ अनोखी बातों को बताते हैं, जिसे शायद ही आप जानते होंगे.
1. नागा साधुओं का जीवन और रहन-सहन
नागा साधु जीवन भर नग्न रहते हैं. यह उनके वैराग्य और सांसारिक मोह त्यागने का प्रतीक है. वे अत्यंत कठोर तपस्या करते हैं. खुले आसमान के नीचे, बिना वस्त्रों के ध्यान, योग और मंत्रों का जाप करते हैं.
2. अखाड़े और परंपराएं
नागा साधु विभिन्न अखाड़ों से जुड़े होते हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी परंपराएं और रीति-रिवाज हैं. कुंभ मेले में नागा साधुओं का जलूस इनकी शक्ति और भव्यता का प्रदर्शन होता है. बताया जाता है कि नागा साधु बनने की प्रक्रिया में 12 साल लगते हैं. लेकिन नागा पंथ में शामिल होने के लिए 6 साल लगते हैं. इस दौरान वे एक लंगोट के अलावा कुछ भी नहीं पहनते हैं. उसके बाद कुंभ मेले में अंतिम प्रण लेने के बाद वे लंगोट भी त्याग देते हैं और पूरे जीवन बिना कपड़े के ही रहते हैं.
3. भोजन और जीवनशैली
नागा साधु भिक्षाटन द्वारा प्राप्त भोजन ग्रहण करते हैं. वे सात्विक भोजन करते हैं और मांस-मदिरा का सेवन नहीं करते. कहा जाता है कि नागा साधु को एक दिन में 7 घरों से भिक्षा मांगने की अनुमति होती है. अगर इन्हें घरों से भिक्षा नहीं मिलती तो भूखा ही रहना पड़ता है.
4. अलौकिक शक्तियां
नागा साधुओं को अक्सर अलौकिक शक्तियों का धारक माना जाता है. कहा जाता है कि वे योग और ध्यान के माध्यम से अदृश्य होने, भविष्य बताने और प्राकृतिक आपदाओं को नियंत्रित करने जैसी शक्तियां प्राप्त कर लेते हैं. बता दें कि नागा साधु बनने से पहले उन्हें स्वयं का पिंडदान भी करना पड़ता है. वो स्वयं को अपने परिवार और समाज के लिए मृत मानकर अपने हाथों से अपना श्राद्ध कर्म करते हैं. इसके बाद ही उसे गुरु द्वारा नया नाम और नई पहचान दी जाती है.
5. नागा साधुओं से जुड़ी कुछ अनोखी बातें
प्रमुख नागा अखाड़ों में महा निर्वाणी अखाड़ा, मन निर्वाणी अखाड़ा, अन्नपूर्णा अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, अटल अखाड़ा आदि शामिल हैं. कुंभ मेले में नागा साधुओं का जलूस मेले का मुख्य आकर्षण होता है. हजारों की संख्या में नागा साधु धोती पहनकर, त्रिशूल लिए हुए शोभायात्रा करते हैं.
6. महिला नागा साधु
पुरुषों के अलावा, महिला नागा साधु भी होती हैं. वे भी पुरुषों की तरह ही कठोर तपस्या करती हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेती हैं. लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि महिला नागा साधु गेरुए रंग का वस्त्र पहनती हैं. ये बहुत कम दिखाई देती हैं. आमतौर ये कुंभ के मेले में ही नजर आती हैं.
7. नागा साधुओं की शिक्षा
नागा साधुओं को वेद, शास्त्र, पुराण, दर्शन और योग विद्या की शिक्षा दी जाती है. नागा साधु सदियों से हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा करते आ रहे हैं. वे समाज में अनेक सामाजिक और धार्मिक कार्यों में भी भाग लेते हैं. बता दें कि नागा साधुओं को ब्रह्मचार्य की शिक्षा प्राप्त करनी होती है.
8. अघोरी साधु शवों के साथ बनाते हैं संबंध
अघोरी साधु शवों की साधना के साथ ही उनसे शारीरिक संबंध भी बनाते हैं. अघोरी का कहना है कि शिव और शक्ति की उपासना करने का यह तरीका है. वो मानते हैं कि अगर शव के साथ शारीरिक क्रिया के दौरान भी मन ईश्वर भक्ति में लगा है तो इससे बढ़कर साधना का स्तर क्या हो सकता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)