Shrimad Devi Mahapuran: श्रीमद देवी महापुराण में भगवान शिव की माता और पिता के बारे में बताया गया है. श्रीमद देवी महापुराण को मुख्यतः 12 स्कंधों (खंडों) में विभाजित किया गया है. प्रत्येक स्कंध में देवी की अलग-अलग लीलाओं और कथाओं का वर्णन है. ये महापुराण शक्ति की उपासना का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. इसमें देवी की पूजा और अनुष्ठान का विस्तृत वर्णन है. श्रीमद देवी महापुराण देवी की महिमा और शक्ति का प्रतिपादन करता है. यह ग्रंथ देवी उपासकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और उनकी भक्ति और श्रद्धा को और अधिक गहरा करता है. देवी की अनंत कृपा से यह पुराण सभी प्रकार के कष्टों का निवारण करता है और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति कराता है.
इस महापुराण के अनुसार, एक बार जब भगवान नारद जी ने अपने पिता भगवान ब्रह्मा जी से पूछा कि इस सृष्टि का निर्माण किसने किया है. भगवान विष्णु, भगवान शिव और आपके माता पिता कौन है, तब भगवान ब्रह्मा जी ने नारद जी को त्रिदेवों के जन्म के बारे में बताया. जो बताया वो वाकई चौका देने वाली बात थी. दरअसल उन्होंने कहा कि देवी दुर्गा और शिव स्वरूप ब्रह्मा के योग से ब्रह्मा, विष्णु और महेश का जन्म हुआ था यानि प्रकृति का रूप लिए मां दुर्गा ही हम तीनों की माता हैं और सदा शिव हमारे पिता है.
श्रीमद् देवी महापुराण में भी भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच हुए झगड़े की एक कहानी मिलती है, जिसके अनुसार एक बार श्री ब्रह्मा जी और विष्णु जी में झगड़ा हुआ और दोनों में बहस छिड़ी हुई थी. तब भगवान ब्रह्मा ने कहा कि सृष्टि को मैंने बनाया है और मैं ही प्रजापिता हूं. जिसके जवाब में भगवान विष्णु जी ने कहा कि मैं आपका पिता हूं क्योंकि आप मेरी नाभि से निकले हुए कमल से पैदा हुए हैं और धीरे धीरे यह बहस बढ़ती गई.
यह भी पढ़ें: Lord Shivas Origin: कैसे हुआ भगवान शिव का जन्म, जानें शिव पुराण और विष्णु पुराण की विरोधाभासी कथाएं
इसके बाद, इन दोनों का झगड़ा सुनकर सदाशिव वहां पहुंचे और उन्होंने कहा कि पुत्रों मैंने ही तुमको इस संसार को बनाने और इसे संभालने के केवल दो काम दिए हैं. इस प्रकार मैने शंकर और रुद्र को संहार और तिरोगति के कार्य दिए हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे पांच मुख्य हैं. एक मुख से आकार, दूसरे मुख से उकार. तीसरे मुख से मुकार, चौथे मुख से बिंदु और पांचवे मुख से नाद यानी की शब्द प्रकट हुए हैं. उन्हीं पांचों को एक साथ मिलाकर देखा जाए तो एक अक्षर ओम बनता है, जिसे आज हम सभी भगवान शिव के मूल मंत्र के रूप से जानते है. इतना कहने के बाद भगवान ब्रह्मा और विष्णु दोनों ही समझ गए की भगवान शिव से ज्यादा शक्तिशाली इस दुनिया में कुछ भी नहीं है और दोनों ने भगवान शिव को प्रणाम किया और चले गए.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)