पांच दिनों का महापर्व दीपावली काफी नजदीक है, धनतेरस से शुरू होने वाले इस महापर्व का दूसरा पड़ाव या दूसरा दिन नरक चतुर्दशी है. धनतेरस की तरह ही इस दिन का भी अपना खास महत्व है. भारतीय संस्कृति में त्योहारों को लेकर लोग विशेष रूप से सजग रहते हैं. नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूजा करने से मनुष्यों को अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल जाती है.
पौराणिक ग्रंथों में श्रीकृष्ण ने इसी दिन भौमासुर यानी की नरकासुर का वध किया था. यही नहीं नरकासुर की कैद से 16 हजार महिलाओं को मुक्त करवाया था, इसी खुशी में सभी ने दीए जलाकर अपनी खुशी प्रकट की थी.
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यमराज की होती है पूजा-
छोटी दिवाली में यम देवता यानी यमराज की पूजा करने का विशेष महत्त्व है, इस दिन यमराज देवता की पूजा करने से दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है. इस दिन दक्षिण दिशा में पुराने दीए जलाए जाते हैं.
नरक चतुर्दशी पूजा विधि और समय-
नरक चतुर्दशी का शुभ मुहुर्त 23 अक्टूबर यानी की रविवार को शाम 06:03 से अगले दिन यानी की 24 अक्टूबर को शाम 05:27 मिनट पर होगा.
इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर यमराज देवता की पूजा करनी चाहिए. ध्यान रहे कि प्रतिमा ईशान कोण में स्थापित कर विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना करें, इस दिन संकट मोचन हनुमान की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है.
नरक चतुर्दशी पर पुराने दीपक जलाने से होता है ये लाभ-
नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है, इसी दिन यमराज देवता की पूजा करने के बाद संध्या के समय दहलीज पर सरसों के तेल का दीपक जलाना बहुत महत्त्वपूर्णं होता हैं, ध्यान रहे कि दीया दक्षिण दिशा की ओर मुख कर नाले और कूड़े के ढेर के पास जरूर रखें, जिससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.
नरक चतुर्दशी के दिन लगाएं उबटन-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शरीर में उबटन लगाना और तेल मलीश करने का विशेष महत्त्व है. ऐसा करने से सौंदर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है यही वजह है कि इस दिन को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है.
Source : News Nation Bureau