Story of Narashima Avtaar: विष्णु भगवान ने नरसिंह अवतार क्यों लिया था? कथा और महत्व

Story of Narashima Avtaar: भगवान विष्णु को हिन्दू धर्म में त्रिदेवों में से एक माना जाता है. वे परमात्मा के पाँच प्रमुख अवतारों में से एक हैं, जिनमें राम, कृष्ण, परशुराम, बुद्ध और कल्कि शामिल हैं. नरसिंह अवतार को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता ह

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Inna Khosla
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Narasimha avtaar of Lord Vishnu its Story and significance

Story of Narashima Avtaar: ( Photo Credit : News Nation )

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Story of Narashima Avtaar: भगवान विष्णु को हिन्दू धर्म में त्रिदेवों में से एक माना जाता है. वे परमात्मा के पाँच प्रमुख अवतारों में से एक हैं, जिनमें राम, कृष्ण, परशुराम, बुद्ध और कल्कि शामिल हैं. भगवान विष्णु के सम्बंध में अनेक कथाएँ और महत्वपूर्ण भगवद्गीता जैसे पुराणों में उनके विस्तारपूर्वक वर्णन किए गए हैं. उन्हें परिणामी ब्रह्मा, स्थितिकर्ता विष्णु और संहारक शिव के रूप में भी जाना जाता है. विष्णु के अवतारों का उद्दीपन जगत के रक्षा और धर्म संस्थापन के लिए किया गया है. उन्हें धारण करने का मक्सद संसार की सुरक्षा और धर्म की रक्षा है. भगवान विष्णु की पूजा और उनके भक्ति का मान्यता से उच्च महत्व है. नरसिंह अवतार भगवान विष्णु के एक प्रसिद्ध अवतारों में से एक है. इस अवतार में भगवान विष्णु ने मानव-शेर के रूप में अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी. नरसिंह अवतार को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है और इसे हिरण्यकश्यप के विनाश और भक्त प्रह्लाद की संरक्षण की दृष्टि से माना जाता है. इस अवतार का महत्वपूर्ण कथाएं पुराणों में प्राप्त होती हैं और भगवान की अद्वितीय शक्ति और भक्तों के प्रति कृपा को प्रस्तुत करती हैं.

कथा:

दक्ष प्रजापति की पुत्री दिति और ऋषि कश्यप की पत्नी थीं. दिति ने हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष नामक दो पुत्रों को जन्म दिया. हिरण्याक्ष भगवान विष्णु द्वारा मारा गया था. हिरण्यकश्यप अपने भाई की मृत्यु का बदला लेना चाहता था. उसने हजारों वर्षों तक घोर तपस्या की और ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया. वरदान के अनुसार, हिरण्यकश्यप को कोई भी मनुष्य, देवता, पशु या राक्षस नहीं मार सकता था.

हिरण्यकश्यप ने वरदान प्राप्त करने के बाद अत्याचार करना शुरू कर दिया. उसने लोगों को भगवान विष्णु की पूजा करने से मना किया और खुद को भगवान घोषित कर दिया.

उस समय, हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था. हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को कई बार मारने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार उसकी रक्षा की.

नरसिंह अवतार:

अंत में, हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को अपनी गोद में बैठाकर भगवान विष्णु को चुनौती दी. उसने कहा कि यदि भगवान विष्णु वास्तव में भगवान हैं, तो वे उसे मारें.

भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया. नरसिंह का रूप न तो पूर्ण मनुष्य था और न ही पूर्ण सिंह. भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में हिरण्यकश्यप को अपनी गोद से उठाकर द्वार पर रखा और अपने नाखूनों से उसका वध कर दिया.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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