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Nariyal Importance: पृथ्वी पर कैसे हुई नारियल की उत्पत्ति और पूजा में क्यों करते हैं इस्तेमाल

Significance of Coconut in Hinduism: हिंदू धर्म में नारियल का पूजा में इस्तेमाल कैसे शुरु हुआ और इससे भी पहले पृथ्वी पर नारियल की उत्त्पति कैसे हुई आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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Nariyal Importance and significance of coconut in hinduism

Significance of Coconut in Hinduism( Photo Credit : News Nation)

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Nariyal Importance: नारियल का धार्मिक महत्त्व क्या है, इस सवाल का जवाब की पौराणिक कथाओं, शास्त्रों और ग्रंथो में पढ़ने को मिलता है. कोई भी पूजा इसके बिना अधूरी मानी जाती है. किसी भी शुभ काम की शुरुआत नारियल रखकर या फिर नारियल फोड़कर की जाती है. गृहप्रवेश से लेकर नवरात्र की पूजा हो या घर में कोई शुभ कार्य नारियल मंदिर में जरुर रखा जाता है. ऐसे में इसे क्यों पूजा में शामिल किया जाता है. हिंदू धर्म में नारियल को पूजने की शुरुआत कैसे हुई आइए सब जानते हैं. 

नारियल की उत्पत्ति कैसे हुई

पौराणिक कथाओं में अनुसार विश्वामित्र ने नारियल तैयार किया था. कहते हैं एक बार इंद्र देव से विश्वामित्र इस तरह नाराज़ हुए कि उन्होंने दूसरे स्वर्ग लोक का निर्माण करने के बारे में सोचा. उस पर जब काम शुरु किया तो दूसरे लोक की सृष्टि का निर्माण करते हुए उन्होंने नारियल को मानव रूप मानकर तैयार किया. अगर आप ध्यान दें तो नारियल पर आपको 3 गोल निशान दिखते हैं जो 2 आंख और एक नाक की तरह होते हैं. नारियल का मुंह इंसानी रूप की तरह ही दिखता है. 

कुछ कथा कहानियों में नारियल को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी माना जाता है. कहते है नारियल में इन तीनो देवों का वास होता है. इतना ही नहीं नारियल के ये तीन छेद भगवान शिव के त्रिनेत्र भी माना जाता है. 

पृथ्वी पर नारियल कैसे पहुंचा - देवी-देवताओं जितना पवित्र ये फल भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर लेकर आए. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पृथ्वी पर विष्णु भगवान अवतरित हुए तो उनके साथ माता लक्ष्मी भी आईं. मां लक्ष्मी अपने साथ नारियल का पेड़ और कामधेनू गाय लेकर आयीं थी. नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहते हैं. 

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नारियल का पूजा में इस्तेमाल कैसे शुरु हुआ

हिन्दू धर्म में एक समय ऐसा था जब कई धार्मिक अनुष्ठान और पूजा पाठ में बलि दी जाती थी. उस समय मनुष्य और जानवरों की बलि एक समान बात होती थी. लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा ये परंपरा बदली, इस परम्परा को तोड़कर मनुष्य या जानवर के स्थान पर नारियल चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई. दरअसल उस समय लोग ये मानते थे कि हम अगर भगवान के चरणों में अपनी बलि दे रहे हैं तो हमारे काम सिद्ध हो रहे हैं. क्योंकि पूरी तरह से उन्हें खुद को सौंप रहे हैं. 

लेकिन फिर इंसान या जानवर की बलि की जगह नारियल फोड़ने की परंपरा शुरु हुई. पूजा में नारियल फोड़ने का अर्थ ये होता है की व्यक्ति ने स्वयं को अपने इष्ट देव के चरणों में समर्पित कर दिया और प्रभु के समक्ष उसका कोई अस्तित्व नहीं है. इसलिए पूजा में भगवान के समक्ष नारियल फोड़ा जाता है.

तो आप भी अगर पूजा में नारियल का इस्तेमाल करते हैं तो अब आप नारियल का ये इतिहास जानने के बाद इसका और आदर करेंगे. नारियल को साक्षात भगवान के रूप में भी कई जगहों पर पूजा जाता है. 

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