Narsimha Jayanti 2022: हिन्दू पंचांग के अनुसार, नरसिंह जयंती वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है. इस साल यह जयंती 14 मई को मनाई जाएगी. भगवान नरसिंह का संबंध हमेशा से ही शक्ति और विजय से रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इस दिन का खासा महत्व बताया गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन किया गया अनुष्ठान व्यक्ति को1000 यज्ञों के बराबर का फल और अनुष्ठान के प्रभाव से सभी कष्टों और शत्रुओं का सर्वनाश हो जाता है. ऐसे में चलिए जानते हैं नरसिंह जयंती पर कैसे किया जाना चाहिए अनुष्ठान और उसका महत्व.
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नृसिंह जयंती का अनुष्ठान
- भक्त सूर्योदय से पहले पवित्र स्नान करते हैं और साफ पोशाक पहनते हैं.
- नरसिम्हा जयंती के दिन, भक्त देवी लक्ष्मी और भगवान नरसिम्हा की मूर्तियों को रखकर विशेष पूजा का आयोजन करते हैं.
- भगवान विष्णु के मंदिरों में पूजा स्थल पर जहां मूर्तियां रखी जाती हैं, भक्त पूजा अर्चना करते हैं और देवताओं को नारियल, मिठाई, फल, केसर, फूल और कुमकुम चढ़ाते हैं.
- भक्त नृसिंह जयंती का व्रत रखते हैं जो सूर्योदय के समय शुरू होता है और अगले दिन के सूर्योदय पर समाप्त होता है.
- भक्त अपने व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन करने से परहेज करते हैं.
- देवता को प्रसन्न करने के लिए भक्त पवित्र मंत्रों का पाठ करते हैं.
- दान करना और जरूरतमंदों को तिल, कपड़े, भोजन और कीमती धातुओं का दानपुण्य करना शुभ माना जाता है.
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नरसिंह जयंती का महत्व है
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान नरसिंह बुराई पर अच्छाई की जीत और शक्ति का प्रतीक हैं. विभिन्न हिंदू धार्मिक ग्रंथों में भगवान नरसिंह की महानता और नरसिंह जयंती के महत्व को चित्रित किया गया है. नरसिंह जयंती के लिए जो भी उपासक देवता की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं, उन्हें बहुत सारा आशीर्वाद मिलता है. भक्त अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं, अपने जीवन से सभी प्रकार के दुर्भाग्य और बुरी शक्तियों को खत्म कर सकते हैं और बीमारियों से सुरक्षित रह सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस दिन भगवान नरसिम्हा की पूजा और अर्चना करते हैं, उन्हें बहुतायत, समृद्धि, साहस और जीत का आशीर्वाद मिलता है.